326 परमेश्वर में मनुष्यजाति के विश्वास का सबसे दुखद पहलू

1 परमेश्वर में मानवजाति के विश्वास के बारे में सबसे दु:खद बात यह है कि मनुष्य परमेश्वर के कार्य के बीच अपने खुद के प्रबंधन का संचालन करता है, जबकि परमेश्वर के प्रबंधन पर कोई ध्यान नहीं देता। मनुष्य की सबसे बड़ी असफलता इस बात में है कि जब वह परमेश्वर के प्रति समर्पित होने और उसकी आराधना करने का प्रयास करता है, उसी समय कैसे वह अपनी आदर्श मंज़िल का निर्माण कर रहा होता है और इस बात की साजिश रच रहा होता है कि सबसे बड़ा आशीष और सर्वोत्तम मंज़िल कैसे प्राप्त किए जाएँ। यहाँ तक कि अगर कोई समझता भी है कि वह कितना दयनीय, घृणास्पद और दीन-हीन है, तो भी ऐसे कितने लोग अपने आदर्शों और आशाओं को तत्परता से छोड़ सकते हैं? और कौन अपने कदमों को रोकने और केवल अपने बारे में सोचना बंद कर सकने में सक्षम हैं?

2 परमेश्वर को उन लोगों की ज़रूरत है, जो उसके प्रबंधन को पूरा करने के लिए उसके साथ निकटता से सहयोग करेंगे। उसे उन लोगों की ज़रूरत है, जो अपने पूरे तन-मन को उसके प्रबंधन के कार्य में अर्पित कर उसके प्रति समर्पित होंगे। उसे ऐसे लोगों की ज़रूरत नहीं है, जो हर दिन उससे भीख माँगने के लिए अपने हाथ फैलाए रहते हैं, और उनकी तो बिलकुल भी ज़रूरत नहीं है, जो थोड़ा-सा देते हैं और फिर पुरस्कृत होने का इंतज़ार करते हैं। परमेश्वर उन लोगों से घृणा करता है, जो तुच्छ योगदान करते हैं और फिर अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट हो जाते हैं। वह उन निष्ठुर लोगों से नफरत करता है, जो उसके प्रबंधन-कार्य से नाराज़ रहते हैं और केवल स्वर्ग जाने और आशीष प्राप्त करने के बारे में बात करना चाहते हैं। वह उन लोगों से और भी अधिक घृणा करता है, जो उसके द्वारा मानवजाति के बचाव के लिए किए जा रहे कार्य से प्राप्त अवसर का लाभ उठाते हैं।

3 ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन लोगों ने कभी इस बात की परवाह नहीं की है कि परमेश्वर अपने प्रबंधन-कार्य के माध्यम से क्या हासिल और प्राप्त करना चाहता है। उनकी रुचि केवल इस बात में होती है कि किस प्रकार वे परमेश्वर के कार्य द्वारा प्रदान किए गए अवसर का उपयोग आशीष प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं। वे परमेश्वर के हृदय की परवाह नहीं करते, और पूरी तरह से अपनी संभावनाओं और भाग्य में तल्लीन रहते हैं। जो लोग परमेश्वर के प्रबंधन-कार्य से कुढ़ते हैं और इस बात में ज़रा-सी भी रुचि नहीं रखते कि परमेश्वर मानवजाति को कैसे बचाता है और उसकी क्या मर्ज़ी है, वे केवल वही कर रहे हैं जो उन्हें अच्छा लगता है और उनका तरीका परमेश्वर के प्रबंधन-कार्य से अलग-थलग है। उनके व्यवहार को परमेश्वर द्वारा न तो याद किया जाता है और न ही अनुमोदित किया जाता है—परमेश्वर द्वारा उसे कृपापूर्वक देखे जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'मनुष्य को केवल परमेश्वर के प्रबंधन के बीच ही बचाया जा सकता है' से रूपांतरित

पिछला: 325 परमेश्वर में मनुष्य का विश्वास असहनीय रूप से बुरा है

अगला: 327 अपने गंतव्य की खातिर मनुष्य द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने की कुरूपता

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2023 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें