53 परमेश्वर के सामने लौट आना सचमुच एक आशीष है

1

पहले मैं केवल परमेश्वर के अनुग्रह और आशीषों के लालच में ही प्रभु में विश्वास किया करता था।

मैं धार्मिक समारोह के बीच, धारणाओं के बंधन में फँसा रहता था।

हर दिन मैं पाप करता और कबूल किया करता था; मैं पाप की बेड़ियों से बच नहीं सका।

परमेश्वर के वचनों के बिना मैं अंधकार, वीरानी और दर्द में रहा करता था।

लेकिन मैंने परमेश्वर की वाणी सुनी, और मैं उसके सिंहासन के सामने उन्नत किया गया।

मैं प्रति दिन परमेश्वर के वचनों का आनंद लेता हूँ, और पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्ध किया जाता हूँ।

सत्य को समझने के बाद, मेरे दिल में रोशनी है, और मेरी धारणाएँ और गलतफहमियाँ दूर हो गईं हैं।

मैं मेमने की शादी की दावत में जाता हूँ—परमेश्वर के सामने रहना सचमुच एक आशीष है।


2

हम भाई-बहन परमेश्वर के वचनों को खाने, पीने और उन पर संगति करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

मैं अपनी भ्रष्टता और कमियों के बारे में स्पष्ट रूप से और खुलकर बात करता हूँ।

तुम प्रेमपूर्ण समर्थन देते हो, परमेश्वर के वचनों के अनुभव के माध्यम से समझदारी पाने पर संगति करते हो।

हम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं—हमारे बीच कोई दूरी नहीं है, हम अपने जीवन में सबसे घनिष्ठ मित्र हैं।

हम परमेश्वर के प्रेम के बीच रहते हैं, और दिलोदिमाग से एकजुट होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं।

हमारे बीच झगड़े हो सकते हैं, लेकिन हम अपने अहं को एक तरफ रखकर, मिलकर प्रार्थना और खोज करते हैं।

पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्ध होकर हम सत्य को समझते हैं और हमारे दिलों को आजाद किया जाता है।

परमेश्वर के सामने, उसके वचनों के मार्गदर्शन के साथ रहना सचमुच एक आशीष है।


3

परमेश्वर के वचनों का न्याय मुझे मेरी भ्रष्टता की सच्चाई दिखाता है।

मैं स्पष्ट देखता हूँ कि मनुष्य के पाप की जड़ उसकी शैतानी प्रकृति है।

परमेश्वर के वचनों में मैं अपना स्वभाव बदलने का मार्ग पाता हूँ।

मैं परमेश्वर के वचनों के सामने भ्रष्टता के अपने उद्गारों का आकलन करता हूँ, और उनमें से प्रत्येक का विश्लेषण कर उस पर चिंतन करता हूँ।

सत्य को समझने के बाद मैं उसे अमल में लाता हूँ, और मेरी भ्रष्टता धीरे-धीरे दूर हो रही है।

परीक्षण से गुजरते समय परमेश्वर के वचन मेरा मार्गदर्शन करते हैं, और मुझे महसूस होता है कि वह बहुत मनोहर है।

परमेश्वर के न्याय और ताड़ना ने हमें शुद्ध किया और बचाया है।

मैंने अनुभव किया है कि परमेश्वर का प्रेम कितना गहरा है। परमेश्वर के सामने रहना सचमुच एक आशीष है।

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