प्रश्न 4: तब आपने कहा था कि बाइबल में सबसे ज़्यादा भविष्यवाणी जिस बात की की गई है वह अंत के दिनों में परमेश्‍वर के न्याय कार्य है। बाइबल में कम-से-कम 200 स्थानों पर यह कहा गया है कि परमेश्‍वर न्याय करने आएंगे। यह पूरी तरह सच है। यह 1 पतरस 4:17 में और भी साफ तरीके से कहा गया था: "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए;" ऐसा लगता है कि अंत के दिनों में परमेश्‍वर के न्याय कार्य एक निश्चितता है। लेकिन आपने जो देखा वह अंत के दिनों के परमेश्‍वर हैं जो अपना न्याय कार्य करने के लिए देहधारी हुए हैं। यह उससे अलग है जिसे हम स्वीकार करते हैं। हम मानते हैं कि अंत के दिनों में प्रभु यीशु पुनरूत्‍थान के बाद के अपने अध्यात्मिक शरीर के रूप में मानवजाति के समक्ष प्रकट होंगे और कार्य करेंगे। धार्मिक मंडलियों में अधिकांश लोगों का भी यही विचार है। लौटकर आए प्रभु के इंसानों के सामने प्रकट होने की अवधारणा और देह रूप में कार्य करने वाली बात हमें पूरी होती हुई नज़र नहीं आ रही है, इसलिए हमें इसके बारे में और बताइये।

उत्तर: यह देखकर अच्छा लगा कि आप लोगों ने पुष्टि कर दी है कि प्रभु की वापसी लोगों का न्याय करने और उन्हें शुद्ध करने के लिए है। बात सिर्फ इतनी-सी है कि आप लोग प्रभु के आगमन के तरीके पर अभी भी अस्पष्ट हैं। ज्यादातर आस्तिक सोचते हैं कि मानव जाति के सामने प्रभु का फिर से प्रकट होना यीशु के आध्यात्मिक शरीर के माध्यम से होगा जो पुनरुत्थान के बाद स्वर्ग चले गये, और यह कि प्रभु संभवत: मनुष्‍य के पुत्र के रूप में देह-धारण नहीं करेंगे। तो फिर वापस आये हुए प्रभु किस तरह से अपने न्याय को पूरा करने के लिए मानव जाति के सामने प्रकट होंगे? एक आध्यात्मिक देह के रूप में या देहधारी परमेश्‍वर के रूप में? यह परमेश्‍वर के विश्‍वासियों के लिए बहुत चिंता का सवाल बन गया है। अंत के दिनों में अपना न्याय कार्य करने के लिए देह में आ रहे परमेश्‍वर की हमारी गवाही की साफ़-साफ़ भविष्यवाणी बाइबल में की गई है। प्रभु यीशु ने कहा था, "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है…" (यूहन्ना 5:22)। "वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है" (यूहन्ना 5:27)। प्रभु यीशु ने सीधे भविष्यवाणी की थी कि अंत के दिनों के परमेश्‍वर अपना न्याय कार्य पूरा करने के लिए मनुष्‍य के पुत्र के रूप में देह धारण करेंगे। "पुत्र" या "मनुष्य का पुत्र" के सभी संदर्भ निश्चित रूप से यीशु के देह-धारण के संदर्भ हैं। जैसे, देह रूप में यीशु मनुष्‍य के पुत्र थे। एक सामान्य मानव के रूप में, मानव से जन्मे। लोगों के बीच रहने के लिए एक साधारण और सामान्य व्यक्ति के रूप को अपनाया। इसीलिए उन्हें मनुष्‍य के पुत्र, मसीह कहते हैं। अगर वे एक आत्मा होते तो उन्हें "मनुष्‍य का पुत्र" नहीं कहा जा सकता। जैसे कि यहोवा परमेश्‍वर एक आत्मा हैं, तो उन्हें "मनुष्य का पुत्र" नहीं कहा जा सकता। पुनरुत्थान के बाद प्रभु यीशु की आध्यात्मिक देह परमेश्‍वर का देह धारण नहीं है, इसीलिए उन्हें मनुष्‍य का पुत्र भी नहीं कह सकते। कोई भी जो मनुष्‍य रूप में हो, पर आध्यत्मिक देह न हो, उसे मनुष्‍य का पुत्र नहीं कहा जा सकता। जैसे कि प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी, "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। यह और भी प्रमाण है कि प्रभु की वापसी मनुष्‍य के पुत्र के रूप में शरीर में देह धारण के माध्यम से हुई है। अगर यह पुनर्जीवित हुए प्रभु के आध्यात्मिक शरीर के माध्यम से हुई होती, तो उन्हें बहुत अधिक दुःख सहन नहीं करना पड़ता, और वह निश्चित रूप से इस पीढ़ी के द्वारा अस्वीकार नहीं किये जाते। एक आध्यात्मिक देह निश्चित ही अलौकिक है। वे न केवल चमत्कार कर पायेंगे, बल्कि जो भी कहेंगे वह भी सच हो जायेगा। अगर ऐसा है, तो मानव जाति निश्चित रूप से उनका अनुसरण करेगी। आस्तिक, नास्तिक, और यहां तक कि शैतान भी अनुसरण करेगा। अगर यह बात होती, तो प्रभु की वापसी को यह पीढ़ी कैसे अस्वीकार कर सकती थी? इसके अलावा, अगर यह एक आध्यात्मिक देह होती जो संतों के स्वर्गारोहण के लिये आती, तो सभी आस्तिकों द्वारा परमेश्‍वर को अस्वीकार करने की ज्‍़यादा संभावना नहीं होती। क्या यह सच नहीं है? इसलिए प्रभु यीशु की भविष्यवाणी के अनुसार, हम पूरी तरह से निश्चिंत हो सकते हैं कि प्रभु यीशु अपना वचन कहने और अंत के दिनों में न्याय करने के लिये मनुष्‍य के पुत्र के रूप में देह धारण करके वापस आयेंगे। वे संभवतः पुनरुत्थित यीशु की आध्यात्मिक देह नहीं हो सकती—इसे वाकई नकारा नहीं जा सकता है।

अंत के दिनों में परमेश्‍वर ने अपना न्याय कार्य करने के लिए मनुष्‍य के पुत्र के रूप में देह धारण की है। वैसे ही जैसे प्रभु यीशु स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार फैलाने के लिए पृथ्वी पर आये थे। मानव जाति ने प्रभु यीशु को एक साधारण मनुष्‍य के पुत्र के रूप में देखा, लेकिन उनके वचनों और कार्य में अधिकार, सामर्थ्य था और इसने लोगों को यकीन दिलाया था। प्रभु यीशु के वचनों और कार्य से हम कह सकते हैं कि प्रभु यीशु की कही गई हर बात सच है, जिससे हम सभी पूरी तरह से आश्वस्त हैं। स्वाभाविक रूप से, लोगों को विश्वास होगा कि प्रभु यीशु को निश्चित रूप से परमेश्‍वर ने भेजा था, और वे खुद ही परमेश्‍वर थे जिन्होंने परमेश्‍वर का कार्य किया। इसी तरह, जब देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर अपना कार्य करने के लिए अंत के दिनों में प्रकट होते हैं, तो कई लोग परमेश्‍वर की आवाज़ सुनते हैं, और वे सभी इहलोक में प्रकाश की भांति सत्य को प्रकट रूप में देख सकते हैं। इससे हर कोई यह देख पाता है कि देहधारी मनुष्य का पुत्र सत्य व्यक्त कर सकता है और भ्रष्ट मानवजाति का न्याय कर उसे शुद्ध कर सकता है। और इससे लोग देहधारी मनुष्य के पुत्र द्वारा व्यक्त सत्य से परमेश्‍वर का धर्मी स्वभाव देख पाते हैं, ताकि लोग अपने हृदय में परमेश्‍वर का आदर और उसकी आज्ञा का पालन कर सकें, और परमेश्‍वर द्वारा पूरी तरह बचा लिए जाएं और उन्हें प्राप्त हो जाएं। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर वचन कहते हैं और परमेश्‍वर के आवास से आरंभ करते हुए अपना न्याय कार्य करते हैं, वे उन सभी को स्वच्छ करते और बचाते हैं जो परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने आते हैं, और आपदा से पहले विजेताओं का समूह बनाते हैं। अब, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचन और उनके न्याय, शुद्धिकरण और पूर्णता का अनुभव करने के बारे में परमेश्‍वर के चुने हुए व्यक्तियों के विजय की गवाहियां पहले ही इंटरनेट पर सार्वजनिक की जा चुकी हैं, जो पूरी दुनिया के सामने हैं और खुल कर यह गवाही देती हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही प्रभु यीशु की वापसी है, कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही उस एक सच्चे परमेश्‍वर का प्रकट हैं जो न्याय करते और मानवजाति को बचाते हैं। जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं, "मैं पूरी पृथ्वी पर निगरानी रखूँगा, और धार्मिकता, प्रताप, कोप और ताड़ना के साथ संसार के पूर्व में प्रकट होते हुए, मानवजाति के असंख्य समुदायों के समक्ष स्वयं को उजागर करूँगा!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 26)

"विजय गान" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 2: मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए पाप बलि के रूप में प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। हमने प्रभु को स्वीकार कर लिया है, और उनके अनुग्रह से उद्धार प्राप्त किया है। फ़िर भी हमें सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अंत के दिनों के न्याय और शुद्धिकरण के कार्य को क्यों स्वीकार करना है?

अगला: प्रश्न 5: आपने गवाही दी कि परमेश्‍वर मनुष्य के पुत्र के रूप में पुनः देहधारी हुए हैं और परमेश्‍वर के आवास से आरंभ करते हुए अपना न्याय कार्य करते हैं। यह बाइबल की भविष्यवाणी से पूरी तरह मेल खाता है। पर मुझे एक बात समझ नहीं आई: क्या परमेश्‍वर के आवास से शुरू होने वाला न्याय वही है जो प्रकाशितवाक्‍य की पुस्तक में महान श्वेत सिंहासन के न्याय के रूप में बताया गया है? हमें यह लगता है कि महान श्वेत सिंहासन का न्याय उन अविश्वासियों पर लक्षित है जो दुष्ट शैतान से संबंध रखते हैं। जब प्रभु आएंगे, तब विश्वासियों को स्वर्ग को ले जाया जायेगा। और तब वे अविश्वासियों को नष्ट करने के लिए आपदाएं भेजेंगे। यही महान श्वेत सिंहासन के समक्ष का न्याय है। आप अंत के दिनों में परमेश्‍वर के न्याय की शुरूआत की गवाही देते हैं, पर हमने परमेश्‍वर को अविश्वासियों को नष्ट करने के लिए आपदाएं भेजते नहीं देखा है। तो यह महान श्वेत सिंहासन का न्याय कैसे हो सकता है? अंत के दिनों में परमेश्‍वर का न्याय आखिर है क्या? कृपया हमें यह बात और साफ़ तरीके से बताएं।

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी...

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