832 लोगों के इस समूह को पूरा करने का संकल्प लिया है परमेश्वर ने

1

शायद ही कोई इन्सान है ऐसा

जो समझ सके परमेश्वर के दिल की तीव्र इच्छा,

क्योंकि इन्सान की क्षमता बहुत कम है,

उसकी आध्यात्मिक अनुभूति भी मंद है,

इन्सान कभी ध्यान नहीं देता परमेश्वर के कार्य पर।

इसलिए उसकी चिंता करता रहता है परमेश्वर।

इन्सान की जंगली प्रकृति, सामने आ सकती है कभी भी।

इसलिए धरती पर परमेश्वर का आगमन

सामने पाता है इंसानों का बड़ा प्रलोभन।

लेकिन इंसान पर परमेश्वर ने उजागर की अपनी इच्छा

क्योंकि चाहता है वो लोगों के एक समूह को पूरा करना।

आम लोगों के इस समूह को पूरा करना, है संकल्प परमेश्वर का।

इसलिए, चाहे आये मुसीबत या कोई प्रलोभन,

नज़र फेर, वो करता सबको अनदेखा।

आम लोगों के इस समूह को पूरा करना, है संकल्प परमेश्वर का।

इसलिए, चाहे आये मुसीबत या कोई प्रलोभन,

नज़र फेर, वो करता सबको अनदेखा।


2

परमेश्वर पर दोष लगाने वाले, उसे लालच देने वाले,

गलत समझने वाले हो सकते हैं लोग कई,

लेकिन दिल पर वो कोई बात लेता नहीं।

जब महिमा में उतरेगा परमेश्वर,

इन्सान देखेगा कि वो करता है जो भी उसमें है इन्सान की भलाई।

परमेश्वर ने इन्सान पर उजागर की है अपनी इच्छा।

आम लोगों के इस समूह को पूरा करना, संकल्प परमेश्वर का।

इसलिए, चाहे आये मुसीबत या कोई प्रलोभन,

नज़र फेर, वो करता सबको अनदेखा।

परमेश्वर अपना काम करता है और मानता है

कि उसके द्वारा पूर्ण किये जाने के बाद,

इन्सान उसे उसकी महिमा में जानेगा और उसके दिल को समझेगा।


3

अपनी पूरी महिमा में यहाँ प्रकट होकर,

इन लोगों से कुछ नहीं छिपाता परमेश्वर।

अपनी पूरी महिमा में यहाँ प्रकट होकर,

इन लोगों से कुछ नहीं छिपाता परमेश्वर।

अपनी पूरी महिमा में यहाँ प्रकट होकर,

इन लोगों से कुछ नहीं छिपाता परमेश्वर।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (4) से रूपांतरित

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