426 परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत करने पर तुम्हें ध्यान देना चाहिए

1

परमेश्वर के सामने शांत दिल, अशांत होता नहीं,

दुनिया, इंसान या चीज़ के कारण, उसके सामने शांत रहो।

मिट जाती सारी नकारात्मकता, हों चाहे बुरे विचार या धारणाएं,

या फ़लसफ़े, गलत संबंध कोई; उसके सामने शांत रहो।


2

उसके सामने शांत रहो, वचनों का आनंद लो,

भजन गाओ, उसके नाम की स्तुति करो।

तुम पर काम करने का उसे मौका दो, वो चाहता बनाना पूर्ण तुम्हें।

तुम्हारा दिल पाना चाहता वो; उसकी अगुआई में चलो,

तब करोगे उसे संतुष्ट। उसके सामने शांत रहो।


3

हर पल करते हो चिंतन ईश वचनों का,

उसकी ओर दिल तुम्हारा खिंचा चला जाता,

उसके मौजूदा वचनों से भरे हुए हो तुम,

इसलिए नई अच्छी चीज़ों के आगे पुराने विचारों,

अभ्यासों के लिए जगह नहीं बचती।

नकारात्मक बातों पर ध्यान न दो;

उन्हें काबू में लाने की कोशिश न करो।


4

उसके वचनों में जियो, ज़्यादा संवाद करो।

आत्मा द्वारा प्रबुद्ध और रोशन हो जाओ।

ऐसा करोगे तो, मिट जाएगी तुम्हारी धारणा और घमंड।

जानोगे तुम परमेश्वर को कैसे प्रेम करना, संतुष्ट करना,

उसके बाहर की सब बातें यूँ ही भूल जाओगे तुम।

उसके सामने शांत रहो, वचनों का आनंद लो,

भजन गाओ, उसके नाम की स्तुति करो।

तुम पर काम करने का उसे मौका दो, वो चाहता बनाना पूर्ण तुम्हें।

तुम्हारा दिल पाना चाहता वो; उसकी अगुआई में चलो,

तब करोगे उसे संतुष्ट। उसके सामने शांत रहो।

तब करोगे उसे संतुष्ट। उसके सामने शांत रहो।

तब करोगे उसे संतुष्ट। उसके सामने शांत रहो।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के समक्ष अपने हृदय को शांत रखने के बारे में से रूपांतरित

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