388 सत्य का अभ्यास परमेश्वर में विश्वास की कुंजी है
ईश्वर में विश्वास की कुंजी है
सत्य को अभ्यास में लाना,
ईश-इच्छा की परवाह करना,
जब ईश्वर देह बनकर आए
तो इंसान पर उसके काम को पहचानना;
उसके वचनों के सिद्धांत जानना।
भीड़ के पीछे न चलो।
अपने प्रवेश में सिद्धांत रखो,
मजबूती से उनका पालन करो।
1
ईश्वर में विश्वास करना,
उसके बारे में जानना आसान नहीं।
सिर्फ सभा करके, उपदेश सुनके
ही तुम इसे नहीं पा सकते।
पूर्ण किए जाने के लिए बस जुनून काफी नहीं।
तुम्हारे पास होना चाहिए अनुभव और ज्ञान,
जो भी करो सिद्धांत अनुसार करो,
काम पाओ पवित्र आत्मा का,
काम पाओ पवित्र आत्मा का,
काम पाओ पवित्र आत्मा का।
ईश्वर में विश्वास की कुंजी है
सत्य को अभ्यास में लाना,
ईश-इच्छा की परवाह करना,
जब ईश्वर देह बनकर आए
तो इंसान पर उसके काम को पहचानना;
उसके वचनों के सिद्धांत जानना।
भीड़ के पीछे न चलो।
अपने प्रवेश में सिद्धांत रखो,
मजबूती से उनका पालन करो।
2
अनुभव से गुज़रने के बाद,
तुम कई चीज़ें समझ सकते हो—
भलाई और बुराई, धार्मिकता और दुष्टता,
देह से जुड़ा क्या है, सत्य से जुड़ा क्या।
तुम्हें इन सभी चीजों में अंतर कर पाना चाहिए,
ताकि कुछ भी हो जाए, तुम कभी नहीं भटकोगे।
केवल यही है तुम्हारा असली कद,
केवल यही है तुम्हारा असली कद,
केवल यही है तुम्हारा असली कद।
ईश्वर में विश्वास की कुंजी है
सत्य को अभ्यास में लाना,
ईश-इच्छा की परवाह करना,
जब ईश्वर देह बनकर आए
तो इंसान पर उसके काम को पहचानना;
उसके वचनों के सिद्धांत जानना।
भीड़ के पीछे न चलो।
अपने प्रवेश में सिद्धांत रखो,
मजबूती से उनका पालन करो।
तुम्हारे अंदर जो ईश्वर की प्रबुद्धता है,
उन्हें कसकर थामे रहो;
इससे तुम्हारी बड़ी मदद होगी।
नहीं तो आज चलोगे दाएँ, तो कल बाएँ,
कुछ भी असली न पा सकोगे।
तुम्हारे जीवन को कोई लाभ न मिलेगा।
सत्य का अभ्यास करो, अभ्यास करो,
ईश्वर में विश्वास की यही कुंजी है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं, केवल वे ही परमेश्वर को संतुष्ट कर सकते हैं से रूपांतरित