498 सत्य का अभ्यास करने वाले ही परीक्षणों में गवाही दे सकते हैं

अगर भविष्य में तुम डटे रहना चाहते हो,

परमेश्वर की संतुष्टि खोजना चाहते हो,

अंत तक उसका अनुसरण करना चाहते हो,

तो मज़बूत नींव का निर्माण करो,

हर चीज़ में सत्य का अभ्यास करो,

उसकी इच्छा का ख़्याल करो, उसकी इच्छा का ख़्याल करो।


1

अगर तुम इस अभ्यास को बनाए रखोगे,

तुम्हारे भीतर एक नींव का निर्माण होगा।

ईश्वर तुम्हारे दिल को प्रेरित करेगा,

तुम उसे चाहोगे, वो तुम्हें विश्वास देगा।

एक दिन जब इम्तहान आएगा, तो शायद तुम्हें थोड़ा दर्द होगा,

मौत की-सी पीड़ा होगी, मगर बदलेगा नहीं ईश्वर के लिये प्रेम तुम्हारा।

बल्कि ये और गहरा होगा। ऐसा है आशीष ईश्वर का।


अगर भविष्य में तुम डटे रहना चाहते हो,

परमेश्वर की संतुष्टि खोजना चाहते हो,

अंत तक उसका अनुसरण करना चाहते हो,

तो मज़बूत नींव का निर्माण करो,

हर चीज़ में सत्य का अभ्यास करो,

उसकी इच्छा का ख़्याल करो, उसकी इच्छा का ख़्याल करो।


2

अगर ईश्वर के वचनों और कामों को तुम,

आज्ञाकारी दिल से स्वीकार लो,

पाओगे ईश्वर की प्रतिज्ञा तुम, पाओगे ईश्वर का आशीष तुम।

अगर आज न किया अभ्यास तुमने, जब आएगा इम्तहान का दिन,

आस्था और प्रेम से वंचित रहोगे तुम।

इम्तहान प्रलोभन बन जाते हैं।

शैतान की परीक्षा में फँस जाओगे तुम, बचने की कोई राह न पाओगे तुम।


3

जब कोई छोटा परीक्षण आएगा, तो भी डटे रह पाओगे तुम,

मगर जब बड़ा इम्तहान आएगा तो शायद न टिक पाओ तुम।

अगर भविष्य में तुम डटे रहना चाहते हो,

परमेश्वर की संतुष्टि खोजना चाहते हो,

अंत तक उसका अनुसरण करना चाहते हो,

तो मज़बूत नींव का निर्माण करो,

हर चीज़ में सत्य का अभ्यास करो,

उसकी इच्छा का ख़्याल करो, उसकी इच्छा का ख़्याल करो।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है से रूपांतरित

पिछला: 497 असल कीमत चाहिये सत्य के अमल के लिये

अगला: 499 सत्य का अभ्यास करोगे तो बदल जाएगा स्वभाव तुम्हारा

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें