180 मैं मरते दम तक निष्ठापूर्वक परमेश्वर का अनुसरण करने की प्रतिज्ञा करती हूँ

1

सुसमाचार का प्रचार करने और परमेश्वर की गवाही देने के लिए सीसीपी ने मुझे गिरफ़्तार कर लिया।

दुष्टात्माओं की माँद में फँसी, मैं ठंडे फ़र्श पर पड़ी हुई थी।

मेरे कमजोर हो चुके शरीर को यातना देने के लिए वे लोग हर तरह के हथकंडे अपना रहे थे।

दुष्टात्माओं के हाथों अपमानित होने से तो मौत बेहतर प्रतीत होती थी।

कई बार मैं स्वयं को कमजोर पाती थी, और दुख से सुबकने लगती थी।

कितनी ही बार मुझे यातना दी गई और मैं दर्द से कराहती रही।

मुझे मायूसी और ख़ौफ़ ने घेर लिया था, मेरा दिल रोता था।

मुझे नहीं पता था कि इस यातना और यंत्रणा से छुटकारा कब मिलेगा।

रात के घनघोर अंधेरे में मैं अनेक बार परमेश्वर से प्रार्थना करती थी।

परमेश्वर के वचन मुझे मजबूती से टिके रहने का विश्वास देते हैं।


2

मुझे परमेश्वर के साथ गुजारा बेहतरीन वक्त याद आता था।

मेरे मन में आनंद के वे लम्हे उभरते थे।

मैं उस शपथ को कैसे भूल सकती थी जो तब मैंने

शैतान को शर्मिंदा करने के लिए विजयी गवाही देने के वास्ते खाई थी?

भले ही यह दर्द अभी भी मुझसे जुदा नहीं हुआ था, बल्कि जारी था,

भले ही शैतान मुझ पर पुरस्कार और दंड के दोनों तरीके आजमाता,

भले ही अगले ही क्षण मैं शहीद हो जाती,

लेकिन मेरा पक्का मानना है कि मेरी जिंदगी और मौत परमेश्वर के हाथों में थी।

शैतान मुझे कैसी भी यातनाएँ दे, मैं झुकूँगी नहीं,

और मैंने परमेश्वर का महिमामंडन करने के लिए उसकी शानदार गवाही देने की शपथ ली।


3

परीक्षणों और क्लेशों को सहकर, अंतत: मैं जाग गई।

मैंने जान लिया कि शैतान घिनौना, क्रूर और दुष्ट है।

मेरे दिल में क्रोध के शोले सुलग रहे थे।

मैंने बड़े लाल अजगर को त्यागने और परमेश्वर की गवाही देने का संकल्प किया।

अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण कर पाना अब मेरे सम्मान की बात है।

परमेश्वर द्वारा न्याय पाना और सत्य हासिल करना सबसे बड़ा आशीष है।

परमेश्वर के वचन मेरे साथ हैं, अब न मैं अकेलापन महसूस करूँगी और न ही मुझे भय लगेगा।

परेशानियों में परमेश्वर के मार्गदर्शन से, मैं शांति से आगे बढती हूँ।

परीक्षणों और क्लेशों से गुजरकर, मेरे अंदर परमेश्वर के प्रति भरपूर आस्था पैदा हो चुकी है।

मैं मरते दम तक, बिल्कुल अंत तक, मसीहका अनुसरण करने की प्रतिज्ञा करती हूँ।

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