694 ताड़ना और न्याय के बारे में पतरस की समझ

1 "मुझे परमेश्वर की ताड़ना और न्याय ने ही बचाया है, मेरे जीवन को परमेश्वर की ताड़नाओं और न्याय से अलग नहीं किया जा सकता। पृथ्वी पर मेरा जीवन शैतान के कब्जे में है, और यदि मुझे परमेश्वर की ताड़ना और न्याय की देखभाल और सुरक्षा न मिली होती, तो मैं हमेशा शैतान के कब्जे में ही जीवन बिताता, और तब मेरे पास न तो सार्थक जीवन जीने का अवसर होता, न ही कोई साधन होता। अगर परमेश्वर की ताड़ना और न्याय मुझे कभी छोड़ें, तो मैं परमेश्वर द्वारा शुद्ध किया जा सकता हूँ। परमेश्वर के कठोर वचनों, धार्मिक स्वभाव, और उसके प्रतापी न्याय के कारण ही मैंने सर्वोच्च सुरक्षा प्राप्त की है, और मैं प्रकाश में रहा हूँ, और मैंने उसका आशीष प्राप्त किया है। परमेश्वर द्वारा शुद्ध किया जाना, अपने-आपको शैतान से मुक्त करा पाना, और परमेश्वर के प्रभुत्व में जीवन बिताना—यह आज मेरे जीवन का सबसे बड़ा आशीष है।"

2 पतरस का प्रेम पवित्र प्रेम था। यह पूर्ण बनाए जाने का अनुभव है, यह पूर्ण बनाए जाने का सर्वोच्च आयाम है; और इससे अधिक सार्थक जीवन नहीं हो सकता। उसने परमेश्वर की ताड़ना और न्याय को स्वीकार किया, उसने परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को बड़े चाव से देखा, और पतरस में इससे अधिक मूल्यवान और कुछ भी नहीं था। उसने कहा, "शैतान मुझे भौतिक सुख देता है, परंतु मुझे इन सुखों का चाव नहीं है। मुझ पर परमेश्वर की ताड़ना और न्याय आते हैं—मैं इसी में अनुग्रहित हूँ, और मुझे इसी में आनंद मिलता है, इसी में मैं धन्य हूँ। यदि परमेश्वर का न्याय न होता, तो मैं परमेश्वर से कभी प्रेम न कर पाता, मैं अभी भी शैतान के कब्जे में ही रह रहा होता, मैं उसी के नियंत्रण और आदेश के अधीन होता। यदि ऐसा होता, तो मैं कभी भी एक सच्चा इंसान न बन पाता, क्योंकि मैं परमेश्वर को संतुष्ट न कर पाता, और मैं पूरी तरह से खुद को परमेश्वर के प्रति समर्पित न कर पाता।

3 भले ही परमेश्वर मुझे आशीष न दे, और मुझे बिना किसी भीतरी सुख के इसी तरह छोड़ दे, मानो एक आग मेरे भीतर जल रही हो, और बिना किसी शांति या आनंद के छोड़ दे, भले ही परमेश्वर की ताड़ना और अनुशासन कभी मुझसे दूर नहीं हुआ, फिर भी मैं परमेश्वर की ताड़ना और न्याय में उसके धार्मिक स्वभाव को देख पाता हूँ। मैं इसी में आनंदित हूँ; जीवन में इससे बढ़कर कोई मूल्यवान और अर्थपूर्ण बात नहीं है। यद्यपि उसकी सुरक्षा और देखभाल क्रूर ताड़ना, न्याय, अभिशाप और पीड़ा बन चुके हैं, फिर भी मैं इन चीज़ों में आनंदित होता हूँ, क्योंकि वे मुझे बेहतर ढंग से शुद्ध कर सकते हैं, बदल सकते हैं, मुझे परमेश्वर के नजदीक लाकर, परमेश्वर से और अधिक प्रेम करने योग्य बना सकते हैं, परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम को और अधिक शुद्ध कर सकते हैं। यह मुझे इस योग्य बनाता है कि मैं एक प्राणी के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करूँ, यह मुझे परमेश्वर के सामने और शैतान के प्रभाव से दूर ले जाता है, ताकि मैं आगे से शैतान की सेवा न करूँ।"

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पतरस के अनुभव : ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान से रूपांतरित

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