266 परमेश्वर के लिए पतरस का प्रेम

1

हे परमेश्वर!

चाहे जो हो जगह या समय, मैं तुझे याद करूँगा।

हर समय, हर जगह, मैं तुझसे प्रेम करना चाहूँ,

पर मेरा आध्यात्मिक कद बहुत छोटा है,

कमजोर हूँ, मेरा प्रेम सीमित है,

तेरे प्रति मेरी निष्ठा बहुत थोड़ी है।

तेरे प्रेम के आगे, मैं जीने लायक नहीं।

बस यही चाहूँ कि मेरा जीवन सार्थक हो,

न सिर्फ तेरे प्रेम का प्रतिफल दे सकूँ,

बल्कि अपना सर्वस्व तुझे अर्पित कर सकूँ।


तुझे संतुष्ट कर पाया तो, एक प्राणी के नाते,

कुछ ना माँगूँगा, मुझे शांति मिल जाएगी।

भले ही अभी कमजोर और शक्तिहीन हूँ मैं,

पर मैं तेरा प्रेम या तेरी सीख नहीं भूलूँगा।


2

हे परमेश्वर!

तू जाने कि मेरा आध्यात्मिक कद छोटा है,

मेरा प्रेम थोड़ा है।

ऐसे में अपना सर्वोत्तम प्रयास कैसे करूँ मैं?

दे मुझे ताकत और आत्मविश्वास, ताकि तेरे प्रति

मेरा प्रेम और शुद्ध हो जाए,

मैं तुझे अपना सर्वस्व दे पाऊँ;

तब मैं न सिर्फ तेरे प्रेम का प्रतिफल दे सकूँगा,

बल्कि तेरी संपूर्ण ताड़ना, परीक्षणों,

न्याय, और तेरे सभी अभिशापों का

अनुभव कर सकूँगा।


तेरे न्याय, ताड़ना और प्रेम के जरिये तुझे जानूँ मैं,

फिर भी मुझे लगे कि मैं तेरे प्रेम की पूर्ति

करने में अक्षम हूँ, क्योंकि तू इतना महान है।

सृष्टिकर्ता को अपना सब कुछ कैसे दे सकूँ मैं?


3

हे परमेश्वर!

इंसान का आध्यात्मिक कद बच्चों-सा है,

उसका जमीर कमज़ोर है,

मैं सिर्फ तेरे प्रेम का प्रतिफल चुका सकता हूँ।

तेरी इच्छा कैसे पूरी करूँ ये नहीं जानता,

बस जो बन पड़े वो करना,

अपना सर्वस्व तुझे देना चाहता हूँ।

तू मेरा न्याय करे या दे मुझे ताड़ना,

तू मुझे चाहे जो भी दे, चाहे जो ले ले,

इसके बावजूद मैं तेरे प्रति

शिकायत से मुक्त हो जाऊँ, ऐसा कर दे।


तुझसे ताड़ना और न्याय पाकर

मैं अक्सर शिकायत करता था,

तेरी इच्छाएँ पूरी या शुद्धता हासिल ना कर पाता था।

मैंने मजबूरी में तेरे प्रेम का प्रतिफल चुकाया,

इस पल मैं खुद से और भी नफरत कर रहा हूँ।


4

अपने जमीर द्वारा तेरे प्रेम का प्रतिफल चुकाकर,

और प्रेम लौटाकर मुझे संतुष्ट नहीं होना चाहिए।

क्योंकि मेरे विचार बहुत भ्रष्ट हैं,

और मैं तुझे सृष्टिकर्ता के रूप में नहीं देख पाता।

चूँकि मैं अभी भी तुझसे प्रेम करने लायक नहीं हूँ,

इसलिए मुझे ये योग्यता पैदा करनी होगी,

कि अपना सब कुछ तुझे अर्पित कर सकूँ,

ये मैं खुशी-खुशी करूँगा।


तेरे सभी काम मुझे जानने चाहिए,

अपने लिए विकल्प नहीं रखने चाहिए,

तेरा प्रेम देखना और प्रशंसा कर पाना चाहिए,

तेरे पवित्र नाम की स्तुति करनी चाहिए,

ताकि मेरे द्वारा तुझे महिमा मिले।

मैं मजबूती से तेरे लिए ये गवाही देने को तैयार हूँ।

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