267 परमेश्वर का न्याय, मेरे परमेश्वर-प्रेमी हृदय को और भी शुद्ध बनाता है
1 हे परमेश्वर! मेरी देह अनाज्ञाकारी है, तू मुझे ताड़ना देता है और मेरा न्याय करता है। मैं तेरी ताड़ना और न्याय में आनन्दित होता हूँ, भले ही तू मुझे न चाहे, फिर भी मैं तेरे न्याय में तेरे पवित्र और धर्मी स्वभाव को देखता हूँ। जब तू मेरा न्याय करता है, ताकि अन्य लोग तेरे न्याय में तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, तो मैं संतुष्टि का एहसास करता हूँ।
2 मैं यही चाहता हूँ कि तेरा धर्मी स्वभाव प्रकट किया जाये ताकि सभी प्राणी तेरे धर्मी स्वभाव को देख सकें, और मैं तुझे अधिक शुद्धता से प्रेम कर सकूँ और मैं एक धर्मी की सदृश्ता को प्राप्त कर सकूँ। तेरा यह न्याय अच्छा है, क्योंकि तेरी अनुग्रहकारी इच्छा ऐसी ही है।
3 मैं जानता हूँ कि अभी भी मेरे भीतर बहुत कुछ ऐसा है जो विद्रोही है, और मैं अभी भी तेरे सामने आने के योग्य नहीं हूँ। मैं तुझसे चाहता हूँ कि तू मेरा और भी अधिक न्याय करे, चाहे क्रूर वातावरण के जरिए या बड़े क्लेश के जरिए; तू मेरा न्याय कैसे भी करे, यह मेरे लिए बहुमूल्य है। तेरा प्यार कितना गहरा है, और मैं बिना कोई शिकायत किए स्वयं को तेरे आयोजन पर छोड़ने को तैयार हूँ।