293 केवल परमेश्वर ही सर्वश्रेष्ठ है
1
परमेश्वर के सभी वचन सत्य हैं, वो जो कहता और करता है वह सब धार्मिक है।
उसके वचनों के न्याय से गुज़रते हुए हमें सत्य खोजना चाहिए।
चूँकि हम अपने भ्रष्ट स्वभाव को स्वीकारते हैं, इसलिए हमें और भी परमेश्वर के न्याय को समर्पित होना चाहिए।
जब हमारे स्वभाव से भ्रष्टता पूरी तरह साफ हो जाएगी तभी हम उसकी इच्छा को संतुष्ट कर सकते हैं।
हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं को त्यागकर, परमेश्वर की ओर देखते हैं, सत्य का अभ्यास करते हैं।
पतरस का अनुकरण करने के लिए अपने संकल्प को मज़बूत करो और शानदार गवाही दो।
आओ हम ऊँचे सुर गाएँ; केवल परमेश्वर ही सर्वश्रेष्ठ है!
हम सदा परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता की स्तुति करेंगे।
2
परमेश्वर के वचनों के न्याय से गुज़रते हुए, मैंने देखा है कि शैतान के हाथों मैं कितनी बुरी तरह से भ्रष्ट हो चुका हूँ।
मैं अभिमानी, कुटिल और धोखेबाज हूँ, मेरे अंदर सचमुच कोई इंसानियत नहीं है।
न्याय को स्वीकार करने और खुद को जानने के बाद, मैंने वास्तव में पश्चाताप किया है।
किसी अपराध को सहन न करने वाले परमेश्वर के स्वभाव का अनुभव करके, मैं परमेश्वर के प्रति श्रद्धानत हो गया हूँ।
परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के पीछे उसका असीम प्रेम छिपा है।
देह-सुख का त्याग और सत्य का अभ्यास करते हुए, मुझे लगता है मैं परमेश्वर के और भी करीब आ गया हूँ।
आओ हम ऊँचे सुर गाएँ; केवल परमेश्वर ही सर्वश्रेष्ठ है!
हम सदा परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता की स्तुति करेंगे।
3
जब उत्पीड़न, कष्ट, परीक्षण आते हैं, हमें परमेश्वर का गौरवगान करना और उसकी गवाही देनी चाहिये।
जीवन-मृत्यु दोनों में, सृजित प्राणियों को परमेश्वर के शासन के प्रति समर्पित होना चाहिए।
कठिनाई और दर्द सहकार, हम शैतान से नफरत करने लगते हैं, और परमेश्वर कितना प्यारा है, इसकी और भी समझ पाते हैं।
शैतान को शर्मिंदा के लिए हमें जोखिम उठाना चाहिये, हमें विजयी गवाही देनी चाहिये।
हल्की यातनाएँ जो महज़ अस्थायी होती हैं, उनके बदले सत्य और जीवन मिलता है।
परमेश्वर का हर कथन और हर कर्म प्रेम है; इसमें हमारी आस्था मजबूत है और संदेह से मुक्त है।
आओ हम ऊँचे सुर गाएँ; केवल परमेश्वर ही सर्वश्रेष्ठ है!
हम सदा परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता की स्तुति करेंगे।