207 मैं अपने दिल में कोई पश्चाताप नहीं रहने दूँगा
1
मैंने बरसों प्रभु में विश्वास रखा है, फिर भी सत्य का अनुसरण करना नहीं जाना।
मैं धार्मिक अनुष्ठानों से चिपका रहा, परमेश्वर में मेरी आस्था अस्पष्ट और अमूर्त थी।
मैं बाइबल को थोड़ा-बहुत समझता था, और मुझे लगा कि मैं परमेश्वर को जानता हूँ।
मैंने पुरस्कार और मुकुट पाने के लिये प्रभु की ख़ातिर अपने आपको खपाया, कष्ट उठाए।
मेरा दिल परमेश्वर के बारे में धारणाओं और कल्पनाओं से भरा था।
मेरे दिल में परमेश्वर की कृपा और आशीषों का आनंद लेने की हवस थी।
जब मैंने देहधारी मनुष्य के पुत्र के कथन को निहारा,
मैंने परमेश्वर के कार्य को मापने के लिए बाइबल के वचनों का इस्तेमाल किया।
मैं धार्मिक धारणाओं से चिपका रहा, और सोचा यही प्रभु के प्रति निष्ठा है।
मेरे कृत्य फ़रीसियों से जुदा कैसे थे?
2
जब मैंने परमेश्वर के वचनों के न्याय का अनुभव किया, तो यह एक सपने से जागने जैसा था।
मैंने देखा कि परमेश्वर के प्रति मेरा रवैया कितना अनैतिक और विवेकहीन रहा था।
मैंने बिना सत्य के, परमेश्वर को मापने के लिए अक्सर अवधारणाओं और कल्पनाओं का उपयोग किया।
मैंने मसीह की भी आलोचना की और उसे नकार दिया, जैसे कि वह कोई साधारण इंसान हो।
जब परमेश्वर के वचनों ने मुझे पर विजय पा ली, तब जाकर मैंने परमेश्वर के रूप को निहारा।
अपने अहंकार और अंधेपन की वजह से परमेश्वर को न जान पाने के कारण मुझे ख़ुद नफ़रत हो गई।
अपनी पिछली नाफ़रमानी और विरोध के बारे में सोचते हुए, मैं पश्चाताप से भर गया।
परमेश्वर के सामने झुकते हुए, मुझे बेहद पछतावा हुआ।
मैंने सत्य का अनुसरण करने और इंसान की तरह जीवन जीने का संकल्प लिया।
मैंने अपने हृदय को परमेश्वर के अनुसरण में लगा दिया, मैं तब तक चैन नहीं लूँगा जब तक कि मैं सत्य को न पा लूँ।