912 कोई भी ईश-अधिकार का स्थान नहीं ले सकता
1
इंसान के संसार में प्रकट होने से पहले,
ईश्वर ने अपनी शक्ति से सभी चीज़ें बनाई।
अपने अनूठे तरीकों से इंसान का आवास बनाया,
क्योंकि जल्दी ही वो उसकी श्वास पाने वाले थे।
ईश-अधिकार सभी प्राणियों में,
विशाल समुद्रों में, स्वर्ग, ज्योतियों और भूमि में,
पशु-पक्षियों, सूक्ष्म जीवों और कीड़े-मकौड़ों में दिखा।
जब ईश्वर ने, जब ईश्वर ने सभी चीज़ें बनानी शुरू कीं,
उसकी शक्ति प्रकट होने लगी।
ईश्वर ने अपने वचनों से सभी चीज़ें रचीं, उन्हें बनाए रखा।
हाँ, यह उसका अनूठा अधिकार है।
2
उसके वचनों के ही कारण सभी को जीवन और वंशवृद्धि मिली,
वे जिए ईश-संप्रभुता के अधीन।
ईश-शक्ति अचल चीज़ों को जीवन दे, जिससे वे कभी विलुप्त न हों,
जीवों को प्रजनन की मूल प्रवृत्ति दे,
जिससे वे जीवित रहने के नियम आगे बढ़ाएँ।
जब ईश्वर ने, जब ईश्वर ने सभी चीज़ें बनानी शुरू कीं,
उसकी शक्ति प्रकट होने लगी।
ईश्वर ने अपने वचनों से सभी चीज़ें रचीं, उन्हें बनाए रखा।
हाँ, यह उसका अनूठा अधिकार है।
3
ईश-शक्ति न आकार में सीमित है,
न अति-विशाल या अति-सूक्ष्म दृष्टिकोण में।
वो ब्रह्मांड को आदेश दे और जीवन और मृत्यु पर शासन करे।
वह चीज़ों को अपनी सेवा के लिए चलाए, जल और पर्वतों पर शासन करे।
उनके भीतर की सब चीज़ों को नियंत्रित करे, वो सृष्टि की ज़रूरतें पूरी करे।
ये इंसान सहित सभी चीज़ों में ईश्वर का अनूठा अधिकार दिखाए।
ये सिर्फ़ एक जीवनकाल के लिए नहीं, ये रुकेगा नहीं।
कोई भी, कुछ भी इसे बदल या बिगाड़ न सके, न घटा सके, न बढ़ा सके।
कोई भी ईश्वर की पहचान की जगह न ले सके।
जब ईश्वर ने, जब ईश्वर ने सभी चीज़ें बनानी शुरू कीं,
उसकी शक्ति प्रकट होने लगी।
ईश्वर ने अपने वचनों से सभी चीज़ें रचीं, उन्हें बनाए रखा।
हाँ, यह उसका अनूठा अधिकार है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I' से रूपांतरित