911 सृष्टिकर्ता का अधिकार अजेय है
1 यद्यपि परमेश्वर के पास अधिकार और सामर्थ्य है, फिर भी वह अपने कार्यों में बहुत अधिक कठोर और सैद्धांतिक है और अपने वचनों के प्रति सच्चा बना रहता है। उसकी कड़ाई और उसके कार्यों के सिद्धांत सृष्टिकर्ता के अधिकार का उल्लंघन न किए जाने की क्षमता को और सृष्टिकर्ता के अधिकार की अजेयता को दर्शाता है। यद्यपि उसके पास सर्वोच्च अधिकार है, सब कुछ उसके प्रभुत्व के अधीन है और यद्यपि उसके पास सभी चीज़ों पर शासन करने का अधिकार है, फिर भी परमेश्वर ने कभी भी अपनी योजना को नुकसान नहीं पहुँचाया है और न ही बाधा पहुँचाई है, जब भी वह अपने अधिकार का इस्तेमाल करता है तो यह कड़ाई से उसके अपने सिद्धांतों के अनुसार होता है, ठीक उसके अनुसार होता है जो कुछ उसके मुँह से निकला था, वह अपनी योजना के क्रम और उद्देश्य का अनुसरण करता है। ऐसा कहने की कोई आवश्यकता नहीं है, जिन चीज़ों पर परमेश्वर शासन करता है वे भी सिद्धांतों का पालन करती हैं, उसके अधिकार के प्रबन्धों से कोई मनुष्य या चीज़ बच नहीं सकती है, न ही वे उन सिद्धांतों को बदल सकते हैं जिनके द्वारा उसके अधिकार का इस्तेमाल किया जाता है।
2 परमेश्वर की निगाहों में, जिन्हें आशीषित किया जाता है वे उसके अधिकार द्वारा लाए गए अच्छे सौभाग्य को प्राप्त करते हैं और जो शापित हैं वे परमेश्वर के अधिकार के कारण दण्ड भुगतते हैं। परमेश्वर के अधिकार की संप्रभुता के अधीन, कोई मनुष्य या चीज़ उसके अधिकार के इस्तेमाल से बच नहीं सकती है, न ही वे उन सिद्धांतों को बदल सकते हैं जिनके द्वारा उसके अधिकार का इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी कारक में परिवर्तन की वजह से सृष्टिकर्ता के अधिकार को बदला नहीं जा सकता है और उसी प्रकार वे सिद्धांत जिनके द्वारा उसके अधिकार को दिखाया जाता है किसी भी वजह से परिवर्तित नहीं होते हैं। चाहे स्वर्ग और पृथ्वी किसी बड़े उथल-पुथल से गुज़रें, परन्तु सृष्टिकर्ता का अधिकार नहीं बदलेगा; सभी चीज़ें विलुप्त हो सकती हैं, परन्तु सृष्टिकर्ता का अधिकार कभी अदृश्य नहीं होगा। यह सृष्टिकर्ता के अपरिवर्तनीय और उल्लंघन न किए जा सकने वाले अधिकार का सार है और यह सृष्टिकर्ता की वही अद्वितीयता है!
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है I" से रूपांतरित