60 हम सभी पीढ़ियों में सबसे धन्य हैं

1 पहले हम स्वच्छंद और आवेगी थे, हम अपने माता-पिता के वचनों पर ध्यान नहीं देते थे, हमने संसार के रुझानों का अनुसरण किया, हमें ऑनलाइन गेम्स की लत लग गई थी, हम भ्रष्टता के बीच रहते थे, हम सुख-सुविधाओं के लोभी थे और खुद में आनंद लेते थे, और हमारे जीवन का कोई लक्ष्य नहीं था; सच में हम पतनशील और भ्रष्ट थे। जब हमने परमेश्वर की आवाज सुनी, तो हम उसके घर लौट आए, जहाँ प्रतिदिन हम उसके वचनों को खाते-पीते हैं और एक कलीसियाई जीवन जीते हैं। परमेश्वर के वचनों के प्रकाश में अपने प्रत्येक शब्द और कार्य पर चिंतन करते हुए हमने शैतान द्वारा हमें भ्रष्ट किए जाने की सच्चाई देख ली है। हम अकसर झूठ बोलते और धोखाधड़ी में लिप्त रहते हैं, और हमारे दिल की गहराइयों में बहुत अधिक गंदगी रहती है; हम अपने कर्तव्य बस बेमन से निभाते हैं, जो वास्तव में परमेश्वर को धोखा देने का एक तरीका है; हम घमंडी और दंभी होने के साथ-साथ हठी और सामान्य ज्ञान से पूर्णत: रहित भी हैं; और परमेश्वर के वचनों के न्याय से गुजरने के बाद हम बेहद पश्चात्ताप से भरे हुए हैं। हम खुद से नफरत करते हैं, और अपने शैतानी स्वभाव से तो और भी ज्यादा नफरत करते हैं; हम सत्य का अभ्यास करने और परमेश्वर के सामने जीने के लिए कृतसंकल्प हैं। यह परमेश्वर की दया और कृपा से ही है कि हमारे पास आज वास्तव में पश्चात्ताप करने का यह अवसर है, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उद्धार को धन्यवाद हो कि हम शैतान के प्रभाव से दूर हो गए हैं।

2 हम कलीसिया में इकट्ठे होते हैं, और हममें से प्रत्येक अपने-अपने कर्तव्य निभाता है। समस्याएँ और कठिनाइयाँ सामने आने पर हम परमेश्वर की ओर देखते हैं और उन्हें उसे सौंप देते हैं। हालाँकि हमारे सहयोग के तरीके में मनमुटाव हो सकता है, पर हम प्रार्थना करते हैं और आत्म-चिंतन में लग जाते हैं, और परमेश्वर के वचनों के बीच हमारी बाधाएँ और गलतफहमियाँ गायब हो जाती हैं। जब हम परीक्षणों और क्लेशों का सामना करते हैं, तब अपनी दैहिक कमज़ोरियों के बावजूद हम परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने तथा उसकी इच्छा को समझने के लिए चुपचाप उसके सामने चले आते हैं। परमेश्वर को बड़ा लाल अजगर सेवा प्रदान करता है, ताकि वह अपने राज्य के लोगों को पूर्ण बना सके। परमेश्वर पर भरोसा करते हुए हम अपनी गवाही में दृढ़ रहते हैं, और उसकी धार्मिकता और सर्वशक्तिमत्ता के लिए उसकी प्रशंसा करते हैं! परमेश्वर के सामने उन्नत किए गए हम सभी पीढ़ियों में सबसे धन्य हैं; उसके वचनों के न्याय के अनुभव से हमारी भ्रष्टता शुद्ध की जा रही है। हम कम अभिमानी व स्वच्छंद, और कम धोखेबाज व झूठे हो गए हैं; अब हमने सत्य के प्रति समर्पित होना और एक नई मानवीय सदृशता को जीना सीख लिया है। अहा! हम कितने धन्य हैं कि हम मसीह का अनुसरण कर सकते हैं और कई सत्य समझ सकते हैं। हम ईमानदार लोग होने का अभ्यास करेंगे, और अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करेंगे। दिलोदिमाग से एकजुट होकर हम परमेश्वर की गवाही देंगे और उसकी इच्छा पूरी करेंगे।

पिछला: 59 सत्य को स्वीकार करना बुद्धिमान कुँवारी होना है

अगला: 61 परमेश्वर के प्रेम का प्रोत्साहन

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें