1022 इंसान फिर से पाता है वो पवित्रता जो उसमें पहले कभी थी
आसमानी बिजली उजागर करे
जानवरों का असली रूप।
इंसान ने फिर से पवित्रता पा ली है
ईश्वर के प्रकाश से।
पुरानी भ्रष्ट दुनिया दूषित जल में
जा गिरी, कीचड़ में मिल गयी।
Ⅰ
जी उठा इंसान फिर से प्रकाश में,
पा लिया उसने जीवन-स्रोत,
मुक्त हुआ कीचड़ से।
हर चीज़ नई हो गयी ईश-वचनों से,
कर रही अपना काम ईश्वर के प्रकाश में।
अब, धरती स्थिर और शांत नहीं,
स्वर्ग, खाली और दुखी नहीं।
उनके बीच अब कोई दूरी नहीं,
जुड़े हैं एक-दूजे से, सदा के लिए।
Ⅱ
इस ख़ुशी के मौके पर,
इस उमंग के पल में उसकी धार्मिकता,
और पवित्रता भरती कायनात को,
इंसान उन्हें सदा सराहता।
स्वर्ग के शहर आनंद से हँसते।
धरती के राज्य भी नृत्य करते।
कौन है जो इस पल नहीं रो रहा?
कौन है जो हरपल आनंदित नहीं हो रहा?
धरती का आदि स्वरूप स्वर्ग का है,
और स्वर्ग धरती से जुड़ा है।
इन्हें जोड़ने वाला तार इंसान है।
इंसान के नवीकरण और
पवित्रता की वजह से,
स्वर्ग अब छिपा नहीं,
धरती ख़ामोश नहीं स्वर्ग के प्रति।
मुस्कुराए संतोष से इंसान,
उसे दिल में होता अपार मधुरता का एहसास।
सुकून से सब रहते,
ईश-दिवस पर न कोई उसे शर्मिंदा करे।
Ⅲ
इंसान ईश्वर को श्रद्धा से देखे।
वह मन-ही-मन उसे ज़ोर से पुकारे।
इंसान के हर काम की जाँच करे ईश्वर।
शुद्ध इंसान उसकी अवज्ञा,
आलोचना न करे।
ईश्वर का स्वभाव साथ है इंसान के।
सभी उसको प्रेम करते,
खिंचते उसकी ओर।
वो डटा रहता इंसान की आत्मा में।
उसका उत्कर्ष होता,
बहता इंसान की नसों में।
लोगों के दिलों का उल्लास
भर दे पूरी धरती को।
ताज़ा हवा है, धरती पर कहीं धुंध नहीं,
चमके सूरज अब शान से।
— 'वचन देह में प्रकट होता है' से रूपांतरित