186 देहधारी परमेश्वर के माध्यम से मनुष्य परमेश्वर को बेहतर समझ सकता है
1
लोगों के दिलों में बैठी अज्ञात ईश्वर की छवि, महज़ शब्दों से
उजागर, दूर न की जा सके, निकाली न जा सके।
ऐसा करने से भी इंसान के दिल में गहरी जमी
इन चीज़ों को निकालना होगा बेहद मुश्किल।
वास्तविक ईश्वर और उसकी छवि ही
ले सके जगह इन अज्ञात चीज़ों की ताकि लोग जानें उन्हें।
इसी तरह होता लक्ष्य पूरा।
समझे इंसान, है अज्ञात और अमूर्त वो ईश्वर
जिसे खोजा उसने पहले।
पवित्र आत्मा का सीधा मार्गदर्शन न हासिल करे ये प्रभाव।
ये हासिल न हो इंसानी तालीम से, हासिल होता ये देहधारी ईश्वर से।
इंसान ईश्वर को अच्छे से जाने और देखे तभी जब
ईश्वर अगर इंसानों के बीच काम करे अपना स्वरूप और छवि प्रकट करे।
दैहिक इंसान न पा सके ये प्रभाव।
ईश्वर का आत्मा भी न हासिल कर पाए ये प्रभाव।
2
इंसान की धारणाएँ प्रकट हो जातीं जब देहधारी ईश्वर काम करे।
उसकी सामान्यता और वास्तविकता अज्ञात ईश्वर के विपरीत हैं।
देहधारी ईश्वर से तुलना बिना, नज़र नहीं आतीं इंसानी धारणाएँ।
असली चीज़ों की विषमता बिना, प्रकट नहीं होतीं अज्ञात चीज़ें।
अपना काम ईश्वर ही कर सके,
उसकी तरफ़ से कोई और न कर सके।
इंसान ईश्वर को अच्छे से जाने और देखे तभी जब
ईश्वर अगर इंसानों के बीच काम करे
अपना स्वरूप और छवि प्रकट करे।
दैहिक इंसान न पा सके ये प्रभाव।
ईश्वर का आत्मा भी न हासिल कर पाए ये प्रभाव।
3
ऐसा काम करने के लिए,
उस काम को स्पष्ट करने के लिए
कोई शब्दों का प्रयोग न कर पाये।
इंसान के शब्द कितने भी अच्छे हों,
पर वो ईश्वर की वास्तविकता, सामान्यता स्पष्ट न कर सकें।
इंसान ईश्वर को अच्छे से जाने और देखे तभी जब
ईश्वर अगर इंसानों के बीच काम करे अपना स्वरूप और छवि प्रकट करे।
दैहिक इंसान न पा सके ये प्रभाव।
ईश्वर का आत्मा भी न हासिल कर पाए ये प्रभाव।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है से रूपांतरित