156 परमेश्वर के लिये मेरा प्रेम कभी नहीं बदलेगा
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मुश्किलों भरा जीवन, आँधी-तूफ़ान में भटकना; वह जिस पीड़ा से गुज़रता है उसे कौन जान सकता है?
एक दीन शरीर में, वह धैर्य से काम करता है, इंसान का प्यार पाना आसान नहीं है।
उसने अनगिनत वचन बोले हैं, चिंताओं से उसका दिल बहुत बेचैन है, इंसान को बचाने के लिए, वह दशकों से अथक प्रयास कर रहा है।
परमेश्वर के दिल को, उसके प्यार को, मैं सचमुच कब समझूँगा, ताकि मैं परमेश्वर को सुख दे सकूँ?
परमेश्वर के वचन जीतते हैं दिल मेरा, परमेश्वर का आज्ञापालन करने का मेरा संकल्प अंत तक अटल है।
जब तक साँस में साँस है, मैं परमेश्वर के प्रति वफादारी की प्रतिज्ञा लेता हूँ।
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परमेश्वर के वचनों से मैं सत्य को समझता हूँ, इंसान कैसे बनना है, यह मैं जानता हूँ।
परमेश्वर के वचनों के ज़रिये मैं हर चीज़ को देखता हूँ, केवल सत्य सबसे बहुमूल्य है।
परीक्षण और परेशानियाँ कितनी भी भयंकर हों, मुझे केवल सत्य हासिल करना है। परमेश्वर से प्रेम करना परम सार्थक है।
मैं अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाऊँगा, परमेश्वर की गवाही और गौरवगान के लिए आख़िरी पीड़ा को भी सह लूँगा।
मैं अपना हृदय परमेश्वर को अर्पित करता हूँ; मैं केवल उसके प्रेम का प्रतिदान देना चाहता हूँ।
परमेश्वर के वचन मुझे शुद्ध करते हैं, परमेश्वर के लिए मेरा प्रेम कभी नहीं बदलेगा।