135 परमेश्वर के लिये तड़प
1
परमेश्वर को जाते देखकर मेरा दिल टूटता है।
पिछली बातें मेरे मन में घूमती हैं, परमेश्वर की शिक्षाएँ मेरे कानों में गूंजती हैं।
दुखी न हो, परेशान न हो।
हमारी जुदाई के वक्त, ऐसे कितने ही वचन मेरे दिल में हैं जिन पर मैं भरोसा करना चाहती हूँ।
हे परमेश्वर, हे परमेश्वर, प्रिय परमेश्वर!
हम फिर कब मिलेंगे, तेरी शिक्षाओं को हम फिर कब सुनेंगे?
2
मैं परमेश्वर के लिये शोक में डूबी हूँ, मेरे दिल में ग्लानि है।
इतने सारे अपराध किए हैं, उनकी पूर्ति मुश्किल है, एक कर्ज़ है दिल पर जो बाकी है।
परमेश्वर के वचन न्याय करते हैं, वे मुझे दिलासा देते हैं।
वो मुझे बार-बार उपदेश देता है, और तसल्ली से सिखाता है; उसके वचन हर कदम पर मुझे राह दिखाते हैं।
हे परमेश्वर, हे परमेश्वर, प्रिय परमेश्वर!
हमारा दिल तेरे लिए तरसता है, हम तेरे सार्वजनिक प्रकटन का स्वागत करते हैं।
3
मैं परमेश्वर के अनुग्रह के लिए लालायित हूँ, परमेश्वर के लिए तरस रही हूँ।
मैं भयंकर मुश्किलों और संकट में परमेश्वर के साथ चलती हूँ; प्रतिकूलता में, मैं उसके प्रेम को अधिक गहराई से महसूस करती हूँ।
शर्म, आँसू, चोट और पीड़ा है।
मुश्किलों और शुद्धिकरण में, परमेश्वर के वचन मेरे साथ होते हैं; मैं अपनी गवाही में दृढ़ रहती हूँ, मैं शैतान पर विजयी होती हूँ।
हे परमेश्वर, हे परमेश्वर, प्रिय परमेश्वर!
तू हमेशा हम पर नज़र रख, ताकि हम तेरे प्रेम के आलिंगन में रहें।
4
मैं गुज़रे वक्त पर जो हमने साथ जिए, अंतहीन बात कर सकती हूँ।
फिर भी मेरी आँखों से आँसू छलक जाते हैं, मेरे पास शब्द नहीं हैं, मेरे दिल में परमेश्वर के उपदेश यादों के रूप में समाए हैं।
मैं दुनिया के छोर तक जाती हूँ, समुद्र की गहराइयों तक जाती हूँ।
सफ़र कितना भी मुश्किल हो, मैं अपने लक्ष्य को पूरा करने में कोई कसर नहीं रखूँगी।
हे परमेश्वर, हे परमेश्वर, प्रिय परमेश्वर!
तू सदा हमारा परमेश्वर है, हम सदा तुझसे प्यार करेंगे, तेरे रहेंगे।