102  परमेश्‍वर आज भी हमसे प्रेम करता है

1

परमेश्वर देहधारण कर मनुष्य के बीच आया है,

कई वर्षों से विनम्रता और गुप्त रूप से काम कर रहा है।

वह मानवजाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त करता है

और उसने विजेताओं का एक समूह बनाया है।

अब उसे सिय्योन लौटना है,

हमारे लगाव की भावनाएँ शब्दों से परे हैं।

हमारे साथ बिताए दिन बहुत कम रहे हैं

और हमारे पुनर्मिलन का दिन अज्ञात है।

परमेश्वर हमारे बीच रहता है,

कई सर्दियों, वसंत, गर्मियों और शरद ऋतुओं से गुजरकर।

उसने कई क्लेशों, खतरों और प्रलोभनों में

हमारा मार्गदर्शन किया है।

अगर परमेश्वर की दया और सुरक्षा न होती

तो शैतान बहुत पहले ही हमें खा और रौंद चुका होता।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मुझे बचाया है

और उसका महान प्रेम हमेशा मेरे दिल में रहेगा।

मेरे मन में परमेश्वर का आदेश होने पर

मैं परमेश्वर को कैसे निराश कर सकती हूँ?

मैं अपना शरीर और हृदय परमेश्वर को अर्पित करती हूँ

और उसकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करती हूँ।

मैं न तो नकारात्मक हूँ और न ही कमजोर

क्योंकि परमेश्वर के वचन परीक्षणों और क्लेशों में मेरा मार्गदर्शन करते हैं।

मैं अपना कर्तव्य निष्ठा से पूरा करूँगी

और मजबूत और शानदार गवाही दूँगी।


2

परमेश्वर इंसान के लिए रात-दिन मेहनत करता है,

खून, पसीना और आँसू बहाते हुए पूरे दिल से काम करता है।

उसके स्नेहमय और प्रेमपूर्ण आलिंगन में

हमारा जीवन धीरे-धीरे बढ़ता है।

मेरी कमजोरी में परमेश्वर के वचन मेरा साथ देते हैं

और मेरे दुखों में परमेश्वर मुझे दिलासा देता है।

मेरी निराशा में परमेश्वर के वचन मुझे प्रोत्साहित करते हैं,

मुझे कदम दर कदम उस जगह तक लाते हैं जहाँ मैं आज हूँ।

अतीत को भूलना मुश्किल है

और शब्द परमेश्वर के भरपूर प्रेम को पूरी तरह से बयां नहीं कर सकते।

कितनी बार उसके कठोर वचनों ने मेरे

शैतानी स्वभाव का न्याय किया है

और कितनी बार उसकी कोमलता और विचारशीलता ने

मुझे पश्चात्ताप करने का मौका दिया है।

मैंने परमेश्वर के प्रेम का इतना आनन्द लिया है

और परमेश्वर के प्रेम का बदला चुकाने के लिए

मैं अपना जीवन समर्पित करने को तैयार हूँ।

मेरे मन में परमेश्वर का आदेश होने पर

मैं परमेश्वर को कैसे निराश कर सकती हूँ?

मैं अपना शरीर और हृदय परमेश्वर को अर्पित करती हूँ

और उसकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करती हूँ।

मैं न तो नकारात्मक हूँ और न ही कमजोर

क्योंकि परमेश्वर के वचन परीक्षणों और क्लेशों में मेरा मार्गदर्शन करते हैं।

मैं अपना कर्तव्य निष्ठा से पूरा करूँगी

और मजबूत और शानदार गवाही दूँगी।

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