185 मैंने देखा है परमेश्वर को
I
मैंने सुनी परमेश्वर की आवाज़ और आ गया उसके सामने।
मैंने पुकारा उसका नाम,
मानो लौट रहा था अपनी मां के पास।
वह जानता था मेरे दिल का दर्द।
वह जानता था मुझे किसकी थी लालसा।
मेरी आत्मा की प्यास और भूख को बुझाया परमेश्वर के वचनों ने,
मैंने चखी मिठास परमेश्वर के वचनों की और महसूस की गर्माहट उसके घर की।
परमेश्वर के वचनों का न्याय प्रकट करता है इंसान की बुराई और दूषण का सत्य।
मैंने आख़िरकार देखा कि मैं भरा हुआ हूं शैतानी स्वभाव से,
और जीता हूं सिर्फ़ देह के लिए।
प्रभु में मेरा विश्वास था सिर्फ़ आशीषों के लिए,
सिर्फ़ ख्याति और संपत्ति के लिए।
एक इंसान के तौर पर मैंने खो दिया अपना विवेक बहुत वक़्त पहले।
परमेश्वर के न्याय ने शुद्ध किया मुझे,
जीने दिया मुझे इंसान की सच्ची समानता को।
मसीह को देखना है सत्य और जीवन,
उसके पीछे चलने के लिए मैंने त्याग दिया सब कुछ।
II
परमेश्वर के वचनों के न्याय से मैंने बहुत कुछ है पाया।
वे हैं सत्य और जीवन,
और मैं ये महसूस कर सकता हूं अपनी रग-रग में।
परमेश्वर के वचनों नें शुद्ध किया है मेरा दूषित स्वभाव
और दिया है मुझे सब कुछ।
परमेश्वर है विनम्र और छिपा हुआ,
मैंने देखा है यह है बहुत प्यारा।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कर्मों ने पहले ही विजय प्राप्त की है और बचाया है लोगों का एक समूह।
परमेश्वर का प्रेम है बहुत सच्चा और बहुत वास्तविक,
मानव जाति की प्रशंसा के बहुत लायक।
परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव सहता नहीं है कोई भी अपमान,
मैं अपने दिल में डरता हूं उससे।
परमेश्वर का न्याय है इंसान के उद्धार के लिए,
उसका दिल है बहुत दयालु और शुद्ध।
परमेश्वर ने बनाया है विजयी लोगों का एक समूह,
शैतान को पूरी तरह हरा के।
मैं स्तुति करता हूं परमेश्वर की उसके पूर्ण गौरव में,
मैं प्रेम करूंगा उससे अनंतकाल तक।