186 मैंने देख लिया है कि परमेश्वर का हृदय बहुत सुंदर और दयालु है
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मुझे परमेश्वर के सामने उन्नत किया गया है, परमेश्वर के वचनों के आनंद से मेरा दिल मधुर हो गया है।
मैं वास्तव में परमेश्वर के भोज में शामिल होने का आनंद लेता हूँ, यह सचमुच परमेश्वर का सबसे बड़ा आशीष है।
परमेश्वर के न्याय के वचन एक तेज़ तलवार की तरह हैं जो मेरी दुष्ट आत्मा को उजागर करते हैं।
मैं केवल परमेश्वर का आशीष पाने के लिए स्वयं को खपाता हूँ, मुझमें न कोई अंतरात्मा है, न समझ है।
मैंने देख लिया है कि मैं बुरी तरह से भ्रष्ट हूँ, मुझमें कोई इंसानियत नहीं है।
पछतावे से भरा, मैं परमेश्वर के आगे प्रायश्चित करता हूँ और याचना करता हूँ कि वो मुझे क्षमा कर दे और मुझ पर दया करे।
मेरे साथ परमेश्वर का व्यवहार मेरे अपराधों के अनुरूप नहीं है, वह ख़ामोशी से प्रतीक्षा करता है कि मैं उसकी शरण में जाऊँ।
मैंने अनुभव कर लिया है कि परमेश्वर का स्वभाव धार्मिक और पवित्र है, मेरा दिल उसके प्रति श्रद्धानत है और उसका आज्ञापालन करता है।
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मैं परमेश्वर के सामने मौन हो जाता हूँ और सत्य की खोज करता हूँ, मैं परमेश्वर के नेक इरादों को समझता हूँ।
परमेश्वर चाहे न्याय करे या ताड़ना दे, ये सब इंसान को शुद्ध करने और बचाने के लिए किया जाता है।
मैंने परमेश्वर के वचनों के न्याय को स्वीकार कर लिया है , मैं परीक्षणों और शुद्धिकरण से गुज़र चुका हूँ।
मैंने बहुत पीड़ा सही है, मेरी भ्रष्टता दूर की जा चुकी है; यह सब परमेश्वर का उद्धार है।
मैं देखता हूँ कि परमेश्वर का स्वभाव बहुत मनोहर है, परमेश्वर का दिल सबसे सुंदर और दयालु है।
मैं परमेश्वर के आगे समर्पित होने को तैयार हूँ, मेरा दिल हर्ष और मधुरता से भरा है।
एक ईमानदार इंसान बनकर और सत्य का अभ्यास करके, मैं परमेश्वर द्वारा धन्य हुआ हूँ।
मैं सत्य को पाना, परमेश्वर द्वारा बचाया जाना चाहता हूँ, और परमेश्वर का गौरवगान करने के लिए एक इंसान की तरह जीना चाहता हूँ।