187 मैं परमेश्वर के प्रेम का प्रतिदान करना चाहता हूँ

1 मैं बरसों दुनिया में भटकता रहा हूँ, मेरी भ्रष्टता गहराती गई है। मुझे बचाने वाले सत्य कहने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद, मैं उसके परिवार में लौट आया हूँ। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के जरिये मैंने अपने असली रंग देख लिए हैं; मैं शैतान द्वारा इतनी बुरी तरह से भ्रष्ट कर दिया गया हूँ कि मुझमें जरा-सी भी इंसानी समानता नहीं बची है। शैतान के फलसफों और नियमों से जीते हुए मैंने दौलत और शोहरत के लिये प्रयास किया। मैं अहंकारी, दंभी था, निरंतर झूठ बोलता, धोखा देता था, फिर भी मैं अपने बारे में बहुत ऊँचा सोचता था। अगर परमेश्वर का न्याय मुझ पर न आता, तो पता नहीं मैं और कितना नीचे गिर जाता। मैं परमेश्वर के सामने गिरता हूँ, अंत के दिनों के उसके उद्धार के लिए आभारी हूँ।

2 परमेश्वर के न्याय के जरिये मैंने उसकी धार्मिकता और पवित्रता देखी है। मैं उसके सामने दंडवत करता हूँ, उसका न्याय और ताड़ना सहर्ष स्वीकार करता हूँ; केवल सत्य को समझकर और खुद को जानकर ही मैं जान पाता हूँ कि लोग कितने भ्रष्ट हैं। ऐसे अहंकारी, दंभी, स्वार्थी और धोखेबाज स्वभाव के साथ, मैं परमेश्वर की गवाही देने और उसकी सेवा करने के योग्य कैसे हूँ? मुझे कितने भी परीक्षण और कठिनाइयाँ सहनी पड़ें, मैं परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने के लिए प्रयास करूँगा। परमेश्वर के न्याय ने मुझे शुद्ध किया है, और अब मैं एक सच्चे इंसान की तरह जीता हूँ। मुझे पता है कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है, मैं दृढ़ता से अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करूँगा। परमेश्वर के उद्धार का अनुग्रह व्यापक है, और मैं उसके प्रेम के प्रतिदान के लिए अपना जीवन अर्पित कर दूँगा।

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