217 मैं पछतावे से भरा हूँ

1

मैंने सुना है परमेश्वर सिय्योन में लौट आएगा, मुझे नहीं पता मैं कैसा महसूस करूँ।

मैंने कई बरस परमेश्वर में विश्वास रखा है लेकिन मैंने कभी अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभाया, मुझे दिल में बहुत गहरा अफ़सोस है।

मैंने परमेश्वर के प्यार का बहुत आनंद लिया है, लेकिन बदले में कभी कुछ नहीं दिया।

परमेश्वर ने मुझे अभ्यास करने के बहुत सारे अवसर दिए हैं, लेकिन मैंने उन अवसरों को लापरवाही से ले लिया,

और मैंने अपना पूरा दिलो-दिमाग, धन-दौलत, शोहरत, रुतबा और भविष्य की योजना बनाने में लगा दिया।

भरकर अत्यधिक अभिलाषाओं से, मैंने सही मायने में शर्म कभी जाना नहीं, बहुत सारे अच्छे वक्त को मैंने बर्बाद कर दिया।

और अब परमेश्वर हमें छोड़ने वाला है, मैं पछतावे से भरा हूँ।


2

परमेश्वर के बहुत से वचन पढ़ने के बाद भी, सिद्धांत समझकर ही संतुष्ट हूँ मैं।

जब मैं अपने किए पर आत्म-मंथन करता हूँ, तो देखता हूँ कि मेरे अंदर सत्य की वास्तविकता बिल्कुल भी नहीं है।

अपने स्वभाव और सार को देखकर, मुझे लगता है कि मुझे सत्य से प्यार नहीं है।

जो अतीत हो चुका है उसे मैं कैसे वापस ला सकता हूँ? मुझे डर है कि परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है।

मैं पछतावे से भरा हूँ। परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हुए मैंने क्यों उसके न्याय और ताड़ना को स्वीकार नहीं किया?

कहीं मेरे प्रायश्चित में बहुत देर तो नहीं हो गई, मैं जानता नहीं, मैं पछतावे से भरा हूँ।

पता नहीं परमेश्वर मुझे एक और अवसर देगा या नहीं, मैं पछतावे से भरा हूँ।

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