809 पतरस के पथ पर कैसे चलें

1

पतरस की राह पर चलना, है सत्य की राह पर चलना।

सच में ख़ुद को जान पाने की, सच में अपने स्वभाव को बदल पाने की

है राह यह, है राह यह।

सिर्फ़ पतरस की राह ले जाती है परमेश्वर की पूर्णता की ओर।

जानो इस राह को लेना और अभ्यास में लाना।

सबसे पहले छोड़ दो अपने इरादे, परिवार,

छोड़ दो अनुचित चाह, अपनी देह की चीज़ें।

परमेश्वर के वचन के प्रति हो जाओ पूरी तरह समर्पित,

खाओ और पीओ उसके वचन, ढूँढ़ो उसकी इच्छा और सच्चाई।

हां, यह अभ्यास है सबसे बुनियादी और ज़रूरी।

यीशु को देखने के बाद यही किया पतरस ने।

इस तरह अभ्यास देता है सबसे अच्छे नतीजे।

परमेश्वर के वचनों के लिए तहेदिल से समर्पण का अर्थ है सत्य की तलाश,

उसके सभी वचनों में ढूंढो परमेश्वर का इरादा।

परमेश्वर की इच्छा समझने पर दो ध्यान।

परमेश्वर के वचनों से अधिक सत्य समझने और पाने पर दो ध्यान।

पतरस की राह पर चलना, है सत्य की राह पर चलना।

सच में ख़ुद को जान पाने की, सच में अपने स्वभाव को बदल पाने की

है राह यह, है राह यह।


2

परमेश्वर के वचनों को पढ़ते समय, पतरस ने किया नहीं प्रयास

सिद्धांतों को समझने या धार्मिक ज्ञान पाने का।

उसका ध्यान था सत्य पर, परमेश्वर की इच्छा जानने पर,

परमेश्वर के स्वभाव और उसकी सुंदरता पर।

पतरस की राह पर चलना, है सत्य की राह पर चलना।

सच में ख़ुद को जान पाने की, सच में अपने स्वभाव को बदल पाने की

है राह यह, है राह यह।


3

परमेश्वर के वचनों के माध्यम से उसने किया प्रयास समझने का

इंसान की दूषित अवस्था, प्रकृति, और कमियों को,

परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए उसकी मांगों के

सभी पहलुओं को हासिल करने का।

परमेश्वर के वचनों में उसके थे कई सही अभ्यास।

परमेश्वर की इच्छा के प्रति था वह समर्पित।

यह है इंसान का सबसे अच्छा सहयोग।

पतरस की राह पर चलना, है सत्य की राह पर चलना।

सच में ख़ुद को जान पाने की, सच में अपने स्वभाव को बदल पाने की

है राह यह, है राह यह, है राह यह।


—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, पतरस के मार्ग पर कैसे चलें से रूपांतरित

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