697 व्यवहारिक परमेश्वर में आस्था से बहुत लाभ हैं
1
मानव का पुत्र निरंतर बोलता है।
ये मामूली इंसान परमेश्वर के काम में हर कदम पर अगुवाई करता है हमारी।
बहुत से इम्तहानों, ताड़नाओं से गुज़रे हैं हम,
और मौत की परीक्षा से भी गुज़रे हैं हम।
परमेश्वर की धार्मिकता और प्रताप का पता चलता है हमें।
परमेश्वर की करुणा और प्रेम का आनंद लेते हैं हम।
उसकी बुद्धि और सामर्थ्य का मान करते हैं हम,
देखते हैं मनोहर है वो, इंसान को बचाने के लिये आतुर है वो।
इस मामूली इंसान के वचनों में,
परमेश्वर के सार, इच्छा और स्वभाव का पता चलता है हमें।
इंसान की प्रकृति और सार का भी पता चलता है हमें,
और देखते हैं उद्धार, पूर्णता के मार्ग को हम।
2
उसके वचनों की वजह से मरते और फिर पैदा होते हैं हम।
वचनों की वजह से अपराध-बोध और उसके ऋण से दब जाते हैं हम।
मगर वे बहुत आराम भी देते हैं हमें।
बहुत तकलीफ़ देते हैं उसके वचन, पर देते हैं ख़ुशी और सुकून भी।
कभी उसके गुस्से में भस्म हुए दुश्मन की तरह होते हैं हम।
कभी उसके संहार के मेमने होते हैं, कभी उसकी आँख का तारा होते हैं हम।
जिन्हें बचाता है, वही हैं हम, उसकी आँख के भुनगे हैं हम।
जिन्हें दिन-रात खोजता है वो, ऐसे गुम हुए मेमने हैं हम।
3
दया करता है, ऊँचा उठाता है, नफ़रत करता है वो,
आराम देता है, समझाता है, अगुवाई करता है, प्रबुद्ध करता है हमें वो।
ताड़ना देता है, अनुशासित करता है और शाप भी देता है हमें वो,
चिंता करता है, रक्षा करता है, देखभाल करता है दिन-रात हमारी वो।
हर वक्त साथ रहता है हमारे, पूरी परवाह करता है हमारी वो।
हर कीमत चुकाई है हमारी ख़ातिर उसने।
परमेश्वर की समग्रता का आनंद लिया है, उसके वचनों में हमने
और निहारा है उस गंतव्य को जो दिया है उसने हमें।
इस मामूली इंसान के वचनों में,
परमेश्वर के सार, इच्छा और स्वभाव का पता चलता है हमें।
इंसान की प्रकृति और सार का भी पता चलता है हमें,
और देखते हैं उद्धार, पूर्णता के मार्ग को हम।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 4: परमेश्वर के प्रकटन को उसके न्याय और ताड़ना में देखना से रूपांतरित