597 अपना कर्तव्य पूरा करोगे तो गवाही दे पाओगे
1 चाहे तुम पर कुछ भी बीते, परमेश्वर के सामने आओ—यह करना सही है। एक ओर तुम्हें चिंतन अवश्य करना चाहिए, और दूसरी ओर अपना कर्तव्य निभाने में देरी नहीं करनी चाहिए। ऐसा न हो कि हमेशा अपने बारे चिंतन ही करते रहो और अपना कर्तव्य न निभाओ। कई बार जब परमेश्वर लोगों का परीक्षण करता है, तो वह एक बोझ लगता है। परमेश्वर तुम्हें कितना भी भारी बोझ दे, तुम्हें वह भारी बोझ उठाना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर तुम्हें समझता है, और यह भी समझता है कि तुम वे बोझ सहने में सक्षम हो। परमेश्वर तुम्हें जो बोझ देता है, वह तुम्हारी क्षमता, या तुम्हारे सहन करने की अधिकतम मात्रा से अधिक नहीं होगा; तुम निश्चित रूप से उसे वहन करने में सक्षम होगे।
2 परमेश्वर चाहे तुम्हें किसी भी तरह का बोझ या किसी भी तरह का परीक्षण दे, इसे याद रखो : प्रार्थना करते समय चाहे तुम परमेश्वर की इच्छा समझ पाओ या न समझ आओ, चाहे तुम पवित्र आत्मा का प्रबोधन और प्रकाश प्राप्त कर पाओ या न कर पाओ, और चाहे परीक्षण द्वारा परमेश्वर तुम्हें अनुशासित कर रहा हो या तुम्हें चेतावनी दे रहा हो, तुम इसे न समझ पाओ तो कोई बात नहीं। अगर तुम अपना वो कर्तव्य निभाना नहीं छोड़ते, जो कि तुम्हें निभाना चाहिए, और उस पर अडिग रहते हो, तो इस तरह से परमेश्वर संतुष्ट हो जाएगा और तुम गवाही दे पाओगे।
— "मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "केवल सत्य के बारम्बार चिन्तन से ही आपको आगे का मार्ग मिल सकता है" से रूपांतरित