986 यह शरीर तुम्हारी मंज़िल बर्बाद कर सकता है

यदि लोग देखें स्पष्ट रूप से, जीवन का सही मार्ग,

और ईश्वर का मकसद, इंसान के प्रबंधन में,

वो भाग्य को ख़ज़ाने की तरह दिल में थामे ना रखेंगे।

तब वे अपने “माता-पिता” की सेवा करना ना चाहेंगे,

जो सच में बदतर हैं कुत्तों और सूअरों से।


1

लोगों को पूरी समझ होनी चाहिए कि वो किस में प्रवेश करें,

क्लेश और अग्नि-परीक्षण के दौरान।

हमेशा सेवा मत करो शरीर की, जो चींटियों और कीड़ों से बदतर है।

इसमें इतना क्यों सोचना, क्यों चिंता करना?

यदि लोग देखें स्पष्ट रूप से, जीवन का सही मार्ग,

और ईश्वर का मकसद, इंसान के प्रबंधन में,

वो भाग्य को ख़ज़ाने की तरह दिल में थामे ना रखेंगे।

तब वे अपने “माता-पिता” की सेवा करना ना चाहेंगे,

जो सच में बदतर हैं कुत्तों और सूअरों से।


2

शरीर तुम्हारा नहीं, ईश्वर का है,

जो तुम्हें नियंत्रित करता है, शैतान को आज्ञा देता है।

तुम शरीर की पीड़ा में जी रहे हो, पर क्या ये शरीर तुम्हारे नियंत्रण में है?

क्यों गिड़गिड़ाना ईश्वर से अपने बदबूदार शरीर के लिए,

जो है निन्दित, शापित और मलिन अशुद्ध आत्माओं के द्वारा?

क्यों रखना शैतान के सहयोगियों को दिल के इतने करीब?

जानते नहीं देह कर सकता है बर्बाद तुम्हारा भविष्य, और सच्ची मंज़िल?

यदि लोग देखें स्पष्ट रूप से, जीवन का सही मार्ग,

और ईश्वर का मकसद, इंसान के प्रबंधन में,

वो भाग्य को ख़ज़ाने की तरह दिल में थामे ना रखेंगे।

तब वे अपने “माता-पिता” की सेवा करना ना चाहेंगे,

जो सच में बदतर हैं कुत्तों और सूअरों से।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मानव-जाति के प्रबंधन का उद्देश्य से रूपांतरित

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