985 क्या इंसान इस थोड़े समय के लिए अपनी देह की इच्छाओं का त्याग नहीं कर सकता?
Ⅰ
जब गर्म वसंत आए और,
फूल खिलने लगें,
जब स्वर्ग के तले हर चीज़
हरियाली से ढक जाए,
जब धरती पर हर चीज़ सही जगह पर हो,
तब हर इंसान, हर चीज़ धीरे से
ईश्वर की ताड़ना में प्रवेश करेगी,
उस समय, धरती पर सभी ईश-कार्य
समाप्त हो जाएँगे।
फिर धरती पर ईश्वर न रहेगा, न कार्य करेगा,
क्योंकि उसका कार्य पूर्ण हो गया होगा।
क्या इंसान असमर्थ है
कुछ वक़्त के लिए देह की इच्छाओं को त्यागने में?
Ⅱ
इंसान और ईश्वर के प्रेम को
कौन-सी चीज़ तोड़ सके?
उस प्रेम को कौन जुदा कर सके?
क्या माँ-बाप, पति-पत्नी?
बहनें या दुखदायी शुद्धिकरण?
क्या ज़मीर के जज़्बात इंसान से
ईश्वर की छवि मिटा सकें?
क्या आपसी बर्ताव और आभार,
इंसान के अपने कर्म है?
क्या वह उन्हें सुधार सकता है?
क्या इंसान असमर्थ है
कुछ वक़्त के लिए देह की
इच्छाओं को त्यागने में?
Ⅲ
कौन अपनी रक्षा कर सके?
क्या इंसान अपना पोषण कर सके?
कौन जीवन में है बलवान?
ईश्वर के बिना कौन जी सकता?
वो क्यों बार-बार इंसान से
आत्म-मंथन के लिए कहता है?
वह क्यों कहता,
"किसने अपनी मुश्किलें
खुद पैदा कीं?"
क्या इंसान असमर्थ है
कुछ वक़्त के लिए देह की
इच्छाओं को त्यागने में?
क्या इंसान असमर्थ है
कुछ वक़्त के लिए देह की
इच्छाओं को त्यागने में?
'वचन देह में प्रकट होता है' से रूपांतरित