60 अंत के समय का परमेश्वर का धार्मिक न्याय मनुष्य को वर्गीकृत करता है

1

युग-सामापन के अपने अंतिम कार्य में,

ईश्वर का स्वभाव ताड़ना देना,

अधार्मिक को प्रकट करना और

सबके सामने लोगों का न्याय करना है,

सच्चे ईश-प्रेमियों को पूर्ण बनाना है।

युग का अंत कर सके ये स्वभाव।


आ चुके हैं अंत के दिन, सारी सृष्टि वर्गीकृत की जाएगी

उसकी प्रकृति और किस्म के अनुसार।

इसी पल दिखाए ईश्वर इंसान को उसकी नियति और मंज़िल।

इंसान की अवज्ञा और अधार्मिकता

उजागर न की जा सके बिना न्याय के।


ताड़ना और न्याय से ही सृष्टि की नियति दिखेगी,

इंसान का असली रंग प्रकट किया जाएगा।

बुरे के साथ बुरा, अच्छे के साथ अच्छा होगा।

बुरे को दंडित किया जाएगा, अच्छे को इनाम दिया जाएगा।

इंसान को किस्म के अनुसार बाँटा जाएगा,

वो ईश्वर के प्रभुत्व में आएगा।


2

इंसान की भ्रष्टता अपने चरम पर है, उसकी अवज्ञा भयंकर है।

ईश्वर का धार्मिक स्वभाव, ताड़ना और न्याय ही,

पूरी तरह बदल सके इंसान को,

दुष्ट को उजागर कर दंडित करे अधार्मिक को।


ऐसे स्वभाव में निहित हैं युग के मायने।

हर नए युग के कार्य के लिए

ईश्वर अपना स्वभाव प्रकट करता है,

वो इसे यूँ ही या बेमायने प्रकट नहीं करता है।


ताड़ना और न्याय से ही सृष्टि की नियति दिखेगी,

इंसान का असली रंग प्रकट किया जाएगा।

बुरे के साथ बुरा, अच्छे के साथ अच्छा होगा।

बुरे को दंडित किया जाएगा, अच्छे को इनाम दिया जाएगा।

इंसान को किस्म के अनुसार बाँटा जाएगा,

वो ईश्वर के प्रभुत्व में आएगा।


3

अगर इंसान की नियति दिखाने वाले अंत के दिनों में भी,

ईश्वर करुणा और प्रेम बरसाये, न्याय न करे, पर क्षमा करे,

इंसान चाहे कितने भी पाप करे,

तो कब समाप्त होगी ईश्वर की प्रबंधन योजना,

कब होगा इंसान का नियति से सामना?


ताड़ना और न्याय से ही सृष्टि की नियति दिखेगी,

इंसान का असली रंग प्रकट किया जाएगा।

बुरे के साथ बुरा, अच्छे के साथ अच्छा होगा।

बुरे को दंडित किया जाएगा, अच्छे को इनाम दिया जाएगा।

इंसान को किस्म के अनुसार बाँटा जाएगा,

वो ईश्वर के प्रभुत्व में आएगा।


4

धार्मिक न्याय ही इंसान को किस्म के अनुसार बांट सके,

और एकदम नए क्षेत्र में ला सके,

इस तरह ईश्वर का धार्मिक स्वभाव इस युग का अंत करेगा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3) से रूपांतरित

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