920 सभी चीज़ें परमेश्वर के अधिकार-क्षेत्र के अधीन होंगी

1 युगों का बीतना, सामाजिक विकास और प्रकृति का बदलता हुआ स्वरूप सभी कार्य के तीनों चरणों में परिवर्तनों का अनुसरण करते हैं। मानवजाति परमेश्वर के कार्य के साथ समय के अनुसार बदलती है, और अपने-आप विकसित नहीं होती है। परमेश्वर के कार्यों के तीन चरणों का उल्लेख सभी प्राणियों को और प्रत्येक धर्म और सम्प्रदाय के लोगों को एक ही परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन लाने के लिए है। चाहे तुम किसी भी धर्म से संबंधित हो, अंततः तुम परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पित हो जाओगे। केवल स्वयं परमेश्वर ही इस कार्य को कर सकता है; यह किसी धर्म-प्रमुख द्वारा नहीं किया जा सकता। ब्रह्मांड के सभी लोग अंततः एक ही परमेश्वर के मार्गदर्शन के अधीन अस्तित्व में हैं, और उनका अस्तित्व धर्म-प्रमुखों या अगुवाओं द्वारा मार्गदर्शित नही है।

2 धर्म-प्रमुख मात्र अगुआ हैं, और वे सृष्टिकर्ता के समकक्ष खड़े नहीं हो सकते। सभी चीजें रचयिता के हाथों में हैं, और अंत में वे सभी रचयिता के हाथों में लौट जाएँगी। मानवजाति मूल रूप से परमेश्वर द्वारा बनाई गई थी, और किसी का धर्म चाहे कुछ भी हो, प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन लौट जाएगा—यह अपरिहार्य है। केवल परमेश्वर ही सभी चीज़ों में सर्वोच्च है, और सभी प्राणियों में उच्चतम शासक को भी उसके प्रभुत्व के अधीन लौटना होगा। मनुष्य की कद-काठी चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो, लेकिन वह मनुष्य मानवजाति को किसी उपयुक्त गंतव्य तक नहीं ले जा सकता, और कोई भी सभी चीजों को उनके प्रकार के आधार पर वर्गीकृत करने में सक्षम नहीं है। स्वयं यहोवा ने मानवजाति की रचना की और प्रत्येक को उसके प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया, और जब अंत का समय आएगा तो वह तब भी, सभी चीजों को उनकी प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत करते हुए, अपना कार्य स्वयं ही करेगा—यह कार्य परमेश्वर के अलावा और किसी के द्वारा नहीं किया जा सकता है।

3 जो संसार का निर्माण करने में अक्षम है वह उसका अंत करने में भी अक्षम होगा, जबकि जिसने संसार की रचना की है वह उसका अंत भी निश्चित रूप से करेगा। इसलिए, यदि कोई युग का अंत करने में असमर्थ है और केवल मानव के मस्तिष्क को विकसित करने में उसकी सहायता करने में सक्षम है, तो वह निश्चित रूप से परमेश्वर नहीं होगा, और निश्चित रूप से मानवजाति का प्रभु नहीं होगा। वह इस तरह के महान कार्य को करने में असमर्थ होगा; केवल एक ही है जो इस प्रकार का कार्य कर सकता है, और वे सभी जो यह कार्य करने में असमर्थ हैं, निश्चित रूप से शत्रु हैं, न कि परमेश्वर। सभी दुष्ट धर्म परमेश्वर के साथ असंगत हैं, और चूँकि वे परमेश्वर के साथ असंगत हैं, वे परमेश्वर के शत्रु हैं। समस्त कार्य केवल इसी एक सच्चे परमेश्वर द्वारा किया जाता है, और संपूर्ण ब्रह्मांड केवल इसी एक परमेश्वर द्वारा आदेशित किया जाता है। चाहे वह इस्राएल में कर रहा है या चीन में, चाहे यह कार्य पवित्रात्मा द्वारा किया जाए या देह के द्वारा, किया सब कुछ परमेश्वर के द्वारा ही जाता है, किसी अन्य के द्वारा नहीं। बिल्कुल इसीलिए क्योंकि वह समस्त मानवजाति का परमेश्वर है और किसी भी परिस्थिति से बाधित हुए बिना, स्वतंत्र रूप से कार्य करता है—यह सभी दर्शनों में सबसे महान है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है से रूपांतरित

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