620 परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए अपना दिल समर्पित करो
1 मैं तुझे याद दिलाना चाहता हूँ कि तू मेरे वचन पर थोड़ा भी अस्पष्ट नहीं हो सकता है और कोई भी लापरवाही अस्वीकार्य है। तुझे इस पर ध्यान देना चाहिए और इसका पालन करना चाहिए और मेरे इरादों के अनुसार चीज़ों को करना चाहिए। तुझे सदैव सतर्क रहना चाहिए और तेरा कभी भी ऐसा स्वभाव नहीं होना चाहिए जो अहंकारी और आत्म-तुष्ट हो, और तुझे अपने भीतर रहने वाले प्राकृतिक पुराने स्वभाव को दूर करने के लिए सदैव मुझ पर भरोसा करना चाहिए। तुझे सदैव मेरे सामने सामान्य स्थिति को बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए, और एक स्थिर स्वभाव रखना चाहिए। तेरी सोच शांत और स्पष्ट होनी चाहिए और यह किसी भी व्यक्ति, घटना या चीज़ से डोलनी या नियंत्रित होनी नहीं चाहिए। तुझे मेरी उपस्थिति में सदैव शांत रहना चाहिए और सदैव मेरे साथ निरंतर निकटता और सहभागिता बनाए रखनी चाहिए। मेरे लिए अपनी गवाही में तू दृढ़ साहस दिखाएगा और अडिग रहेगा। उठ और मेरे वास्ते बोल और डर मत कि दूसरे लोग क्या कहते हैं। मेरे इरादों को संतुष्ट करने पर ध्यान केंद्रित कर और दूसरों के द्वारा नियंत्रित मत हो। जो मैं तेरे लिए प्रकट करता हूँ, वह मेरे इरादों के अनुसार किया जाना चाहिए और उसमें विलंब नहीं किया जा सकता है।
2 मैं तेरा सहारा और तेरी ढाल हूँ, और सब कुछ मेरे हाथों में है, तो तुझे किस बात का डर है? क्या यह ज़रूरत से ज़्यादा भावुक होना नहीं है? तुझे तुरंत भावनाओं को अलग कर देना चाहिए; मैं भावनाओं पर विचार नहीं करता हूँ और मैं धार्मिकता का प्रयोग करता हूँ। आस्था रख! विश्वास रख! मैं तेरा सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ। यह कुछ ऐसा है जो तुझे कुछ-कुछ महसूस हो सकता है, लेकिन तुझे अभी भी सतर्क रहना होगा। कलीसिया की ख़ातिर, मेरी इच्छा के लिए और मेरे प्रबंधन के वास्ते, तुझे पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए, और सभी रहस्य और परिणाम तुझे स्पष्ट रूप से दिखाए जाएँगे। इसमें कोई और विलंब नहीं होगा और दिन ख़त्म हो रहे हैं। तो तू क्या करेगा? तू अपने जीवन को तेजी से परिपक्व बनाने का प्रयास कैसे कर सकता है? तू अपने आप को मेरे लिए जल्दी से कैसे उपयोगी बनाएगा? तू मेरी इच्छा कैसे पूरी करेगा? ऐसा करने के लिए मेरे साथ पूरी तरह से विचारमग्न होने और गहरी संगति करने की आवश्यकता है। मुझ पर भरोसा कर, मुझ पर विश्वास कर, कभी भी लापरवाह न बन, और मेरे मार्गदर्शन के अनुसार चीज़ों को करने में सक्षम बन।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 9" से रूपांतरित