264 परमेश्वर की ताड़ना और न्याय न होते, तो मेरा कोई अस्तित्व न होता
1 यदि परमेश्वर का न्याय ना होता तो मैं परमेश्वर से कभी प्यार नहीं कर पाता, मैं अभी भी शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताता, मुझे अभी भी उसके द्वारा नियन्त्रित किया जाता, और उसके आदेश के अधीन होता। यदि स्थिति ऐसी होती, तो मैं कभी भी एक असल इंसान नहीं बन पाता, क्योंकि मैं परमेश्वर को संतुष्ट करने में असमर्थ रहता, और मैं अपनी समग्रता को परमेश्वर को समर्पित नहीं कर पाता। भले ही परमेश्वर मुझे आशीष न दे, और मुझे बिना किसी भीतरी सुकून के इस तरह छोड़ दे, मानो एक आग मेरे भीतर जल रही हो, और बिना किसी शांति या आनन्द के छोड़ दे, और भले ही परमेश्वर की ताड़ना और अनुशासन कभी मुझ से दूर नहीं हुआ, फिर भी मैं परमेश्वर की ताड़ना और न्याय में उसके धर्मी स्वभाव को देखने में सक्षम हूँ। मैं इस में आनन्दित हूँ; जीवन में इस से बढ़कर कोई मूल्यवान और अर्थपूर्ण बात नहीं है।
2 यद्यपि उसकी सुरक्षा और देखभाल क्रूर ताड़ना, न्याय, अभिशाप और पीड़ा बन चुके हैं, फिर भी मैं इन चीज़ों में आनन्दित होता हूँ, क्योंकि वे मुझे बेहतर ढंग से शुद्ध कर सकते हैं और बदल सकते हैं, मुझे परमेश्वर के नज़दीक ला सकते हैं, मुझे परमेश्वर से और भी अधिक प्रेम करने के योग्य बना सकते हैं, और परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम को और अधिक शुद्ध कर सकते हैं। यह मुझे इस योग्य बनाता है कि मैं एक जीवधारी रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करूँ, यह मुझे परमेश्वर के सामने और शैतान के प्रभाव से दूर ले जाता है, ताकि मैं आगे से शैतान की सेवा न करूँ। यह परमेश्वर की ताड़ना और न्याय है जिसने मुझे बचाया है, और मेरे जीवन को परमेश्वर की ताड़नाओं और न्याय से अलग नहीं किया जा सकता है। पृथ्वी पर मेरा जीवन शैतान के प्रभुत्व में है।
3 और यदि परमेश्वर की ताड़ना और न्याय की देखभाल और सुरक्षा नहीं होती, तो मैं हमेशा शैतान के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताता, और, इसके अतिरिक्त, मेरे पास एक सार्थक जीवन जीने का अवसर या साधन नहीं होता। बस अगर परमेश्वर की ताड़ना और न्याय मुझे कभी छोड़कर न जाए, तब ही मैं परमेश्वर के द्वारा शुद्ध किए जाने के योग्य हो सकता हूँ। केवल परमेश्वर के कठोर शब्दों, धार्मिक स्वभाव, और परमेश्वर के प्रतापी न्याय के कारण ही, मैंने सर्वोच्च सुरक्षा प्राप्त की है, और ज्योति में रहा हूँ, और मैंने परमेश्वर की आशीषों को प्राप्त किया है। शुद्ध किए जाने में, और अपने आपको शैतान से मुक्त कराने सक्षम होना, और परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन जीवन बिताना—यह आज मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी आशीष है।