623 ऐसा स्वभाव परमेश्वर की सेवा के योग्य कैसे हो सकता है?

1

तुम सभी को, अपने हर काम में,

कलीसिया के हितों की रक्षा करनी चाहिए।

अपने हितों के बारे में न सोचते रहो।

सेवा करने वालों के तौर पर, अकेले काम न करो,

एक-दूसरे को नीचा न दिखाओ।

ऐसा करने वाले योग्य नहीं ईश-सेवा के।


2

ऐसे लोगों का स्वभाव बहुत बुरा है;

उनमें ज़रा इंसानियत बची नहीं,

वे जानवर हैं, शत-प्रतिशत शैतान हैं,

संगति में भी वार करें एक-दूसरे पर,

बहाने ढूंढते हैं झगड़े के,

छोटी-सी बात पर लाल हो जाते,

उनमें से कोई भी न पीछे हटना चाहे,

वे राज़ रखें, सतर्क रहें, दूसरों पर नज़र रखें।


तुम सभी को, अपने हर काम में,

कलीसिया के हितों की रक्षा करनी चाहिए।

अपने हितों के बारे में न सोचते रहो।

सेवा करने वालों के तौर पर, अकेले काम न करो,

एक-दूसरे को नीचा न दिखाओ।

ऐसा करने वाले योग्य नहीं ईश-सेवा के।


3

क्या ऐसा स्वभाव ईश-सेवा के योग्य है?

क्या तुम्हारा काम भाई-बहनों को पोषण दे सके?

तुम दूसरों को जीवन के सही रास्ते न ले जा सकते।

तुम तो उन्हें अपनी भ्रष्टता से भर देते।

तुम्हारा बेहद बुरा ज़मीर, अंदर तक सड़ गया है।

ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम किसी को चोट न पहुँचाते?

तुम वास्तविकता में प्रवेश न कर पाते,

न किसी सत्य का अभ्यास करते।


दूसरों को अपनी शैतानी प्रकृति दिखाते हो।

तुम्हें ज़रा-भी शर्म नहीं।

ये भाई-बहन तुम्हें सौंपे गए हैं,

फिर भी इन्हें तुम नरक ले जाते हो।

क्या तुम ऐसे इंसान नहीं जिसका ज़मीर सड़ गया है?

तुम्हें ज़रा-भी शर्म नहीं!


तुम सभी को, अपने हर काम में,

कलीसिया के हितों की रक्षा करनी चाहिए।

अपने हितों के बारे में न सोचते रहो।

सेवा करने वालों के तौर पर, अकेले काम न करो,

एक-दूसरे को नीचा न दिखाओ।

ऐसा करने वाले योग्य नहीं ईश-सेवा के।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, इस्राएलियों की तरह सेवा करो से रूपांतरित

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