623 क्या इस तरह का स्वभाव परमेश्वर की सेवा के योग्य है?
1 तुम में से प्रत्येक को, ऐसे लोगों के तौर पर, जो सेवा करते हैं, जो कुछ तुम करते हो उन सभी चीजों में कलीसिया के हितों की रक्षा करने में सक्षम होना चाहिए, इसके बजाय कि तुम अपने हितों की रक्षा लगे रहो। यह अकेले किये जाने के लिए अस्वीकार्य है, जहां तुम उसे कमजोर करो और वह तुम्हें कमज़ोर करे। इस तरह का बर्ताव करने वाले लोग परमेश्वर की सेवा के लिए उपयुक्त नहीं हैं! इस तरह के व्यक्तियों का स्वभाव इतना बुरा है; मानवता का एक औंस भी उनमें शेष नहीं बचता है। वे एक-सौ प्रतिशत शैतान हैं! वे जानवर हैं! अब तक इस तरह की चीजें तुम्हारे बीच घटती हैं, साहचर्य के दौरान एक-दूसरे पर हमला करने, जानबूझकर बहानों की खोज करने, कुछ छोटी बातों पर बहस करते हुए पूरा लाल हो जाने तक भी चली जाती हैं, कोई व्यक्ति पीछे हटने को तैयार नहीं होता, प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर जो है उसे दूसरे से छुपाता रहता है, दूसरे पक्ष को ध्यान से देखता और चौकन्ना रहता है।
2 क्या इस प्रकार का स्वभाव परमेश्वर की सेवा के लिए उपयुक्त हो सकता है? क्या तुम जैसा कार्य तुम लोग करते हो वो भाइयों और बहनों को पोषण दे सकता है? न केवल तुम लोगों का सही जीवनचर्या के रास्ते पर लाने में असमर्थ हो, बल्कि तुम वास्तव में अपने भ्रष्ट स्वभावों को भाइयों और बहनों के भीतर डालते हो। क्या तुम दूसरों को चोट नहीं पहुंचा रहे हो? तुम्हारा विवेक बहुत बुरा है, अंदर तक सड़ा हुआ है! तुम वास्तविकता में प्रवेश नहीं करते हो, और सच्चाई को अभ्यास में नहीं लाते हो। और तो और तुम बेशर्मी से अन्य लोगों के सामने अपनी शैतानी प्रकृति का खुलासा करते हो, तुम्हें बिल्कुल शर्म नहीं आती! भाइयों और बहनों को तुम को सौंपा गया है, लेकिन तुम उन्हें नर्क में ले जाते हो। क्या तुम ऐसे व्यक्ति नहीं हो जिसकी अन्तरात्मा सड़ गयी है? तुम पूरी तरह बेशर्म हो!
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "वैसे सेवा करो जैसे कि इस्राएलियों ने की" से रूपांतरित