अध्याय 8 विभिन्न प्रकार के लोगों और मनुष्य को की गई परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अंत

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

मेरा कार्य केवल छह हज़ार वर्ष तक चलता है और मैंने वादा किया कि समस्त मानवजाति पर उस दुष्ट का नियंत्रण भी छह हजार वर्षों से अधिक तक नहीं रहेगा। इसलिए, अब समय पूरा हुआ। मैं अब और न तो जारी रखूँगा और न ही विलंब करूँगा : अंत के दिनों के दौरान मैं शैतान को परास्त कर दूँगा, मैं अपनी संपूर्ण महिमा वापस ले लूँगा और मैं पृथ्वी पर उन सभी आत्माओं को वापस प्राप्त करूँगा जो मुझसे संबंधित हैं, ताकि ये व्यथित आत्माएँ दुःख के सागर से बच सकें और इस प्रकार पृथ्वी पर मेरे समस्त कार्य का समापन होगा। इस दिन के बाद, मैं पृथ्वी पर फिर कभी भी देहधारी नहीं बनूँगा और फिर कभी भी पूर्ण-नियंत्रण करने वाला मेरा आत्मा पृथ्वी पर कार्य नहीं करेगा। मैं पृथ्वी पर केवल एक कार्य करूँगा : मैं मानवजाति को पुनः बनाऊँगा, ऐसी मानवजाति जो पवित्र हो और जो पृथ्वी पर मेरा विश्वसनीय शहर हो। पर जान लो कि मैं संपूर्ण संसार को जड़ से नहीं मिटाऊँगा, न ही मैं समस्त मानवजाति को जड़ से मिटाऊँगा। मैं उस शेष तृतीयांश को रखूँगा—वह तृतीयांश जो मुझसे प्रेम करता है और मेरे द्वारा पूरी तरह से जीत लिया गया है और मैं इस तीसरे तृतीयांश को फलदायी बनाऊँगा और पृथ्वी पर कई गुना बढ़ाऊँगा, ठीक वैसे जैसे इस्राएली व्यवस्था के तहत फले-फूले थे, उन्हें ख़ूब सारी भेड़ों और मवेशियों और पृथ्वी की सारी समृद्धि के साथ पोषित करूँगा। यह मानवजाति हमेशा मेरे साथ रहेगी, मगर यह आज की बुरी तरह से गंदी मानवजाति की तरह नहीं होगी, बल्कि ऐसी मानवजाति होगी, जो उन सभी लोगों का जनसमूह होगी जो मेरे द्वारा प्राप्त कर लिए गए हैं। इस प्रकार की मानवजाति को शैतान के द्वारा नष्ट, बिगाड़ा या घेरा नहीं जाएगा और ऐसी एकमात्र मानवजाति होगी जो मेरे द्वारा शैतान पर विजय प्राप्त करने के बाद पृथ्वी पर विद्यमान रहेगी। यही वह मानवजाति है, जो आज मेरे द्वारा जीत ली गई है और जिसे मेरी प्रतिज्ञा हासिल है। और इसलिए, अंत के दिनों के दौरान मेरे द्वारा जीती गई मानवजाति वह मानवजाति भी होगी, जिसे बख़्श दिया जाएगा और जिसे मेरे अनंत आशीष प्राप्त होंगे। शैतान पर मेरी विजय का यही एकमात्र सुबूत होगा और शैतान के साथ मेरे युद्ध का एकमात्र विजयोपहार होगा। युद्ध के ये विजयोपहार मेरे द्वारा शैतान के अधिकार क्षेत्र से बचाए गए हैं और ये ही मेरी छह-हज़ार-वर्षीय प्रबंधन योजना के ठोस-रूप और परिणाम हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कोई भी जो देह में है, कोप के दिन से नहीं बच सकता

जो लोग सच में परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, वे अपने कार्य की परीक्षा का सामना करने में समर्थ हैं, जबकि जो लोग सच में परमेश्वर का अनुसरण नहीं करते, वे परमेश्वर के किसी भी परीक्षण का सामना करने में अक्षम हैं। देर-सवेर उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा, जबकि विजेता राज्य में बने रहेंगे। मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को खोजता है या नहीं, इसका निर्धारण उसके कार्य की परीक्षा द्वारा किया जाता है, अर्थात्, परमेश्वर के परीक्षणों द्वारा, और इसका स्वयं मनुष्य द्वारा लिए गए निर्णय से कोई लेना-देना नहीं है। परमेश्वर सनक के आधार पर किसी मनुष्य को अस्वीकार नहीं करता; वह जो कुछ भी करता है, वह मनुष्य को पूर्ण रूप से आश्वस्त कर सकता है। वह ऐसा कुछ नहीं करता, जो मनुष्य के लिए अदृश्य हो, या कोई ऐसा कार्य जो मनुष्य को आश्वस्त न कर सके। मनुष्य का विश्वास सही है या नहीं, यह तथ्यों द्वारा साबित होता है, और इसे मनुष्य द्वारा तय नहीं किया जा सकता। इसमें कोई संदेह नहीं कि "गेहूँ को जंगली दाने नहीं बनाया जा सकता, और जंगली दानों को गेहूँ नहीं बनाया जा सकता"। जो सच में परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे सभी अंततः राज्य में बने रहेंगे, और परमेश्वर किसी ऐसे व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार नहीं करेगा, जो वास्तव में उससे प्रेम करता है। अपने विभिन्न कार्यों और गवाहियों के आधार पर राज्य के भीतर विजेता लोग याजकों और अनुयायियों के रूप में सेवा करेंगे, और जो क्लेश के बीच विजेता होंगे, वे राज्य के भीतर याजकों का एक निकाय बन जाएँगे। याजकों का निकाय तब बनाया जाएगा, जब संपूर्ण विश्व में सुसमाचार का कार्य समाप्ति पर आ जाएगा। जब वह समय आएगा, तब जो मनुष्य के द्वारा किया जाना चाहिए, वह परमेश्वर के राज्य के भीतर अपने कर्तव्य का निष्पादन होगा, और राज्य के भीतर परमेश्वर के साथ उसका जीना होगा। याजकों के निकाय में महायाजक और याजक होंगे, और शेष लोग परमेश्वर के पुत्र और उसके लोग होंगे। यह सब क्लेश के दौरान परमेश्वर के प्रति उनकी गवाहियों से निर्धारित होता है, ये ऐसी उपाधियाँ नहीं हैं जो सनक के आधार पर दी जाती हैं। जब मनुष्य की हैसियत स्थापित कर दी जाएगी, तो परमेश्वर का कार्य रुक जाएगा, क्योंकि प्रत्येक को उसके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत कर दिया जाएगा और उसकी मूल स्थिति में लौटा दिया जाएगा, और यह परमेश्वर के कार्य के समापन का चिह्न है, यह परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के अभ्यास का अंतिम परिणाम है, और यह परमेश्वर के कार्य के दर्शनों और मनुष्य के सहयोग का स्फटिकवत् ठोस रूप है। अंत में, मनुष्य परमेश्वर के राज्य में विश्राम पाएगा, और परमेश्वर भी विश्राम करने के लिए अपने निवास-स्थान में लौट जाएगा। यह परमेश्वर और मनुष्य के बीच 6,000 वर्षों के सहयोग का अंतिम परिणाम होगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास

क्या अब तुम समझ गए हो कि न्याय क्या है और सत्य क्या है? अगर तुम समझ गए हो, तो मैं तुम्हें न्याय किए जाने के लिए आज्ञाकारी ढंग से समर्पित होने की नसीहत देता हूँ, वरना तुम्हें कभी भी परमेश्वर द्वारा सराहे जाने या उसके द्वारा अपने राज्य में ले जाए जाने का अवसर नहीं मिलेगा। जो केवल न्याय को स्वीकार करते हैं लेकिन कभी शुद्ध नहीं किए जा सकते, अर्थात् जो न्याय के कार्य के बीच से ही भाग जाते हैं, वे हमेशा के लिए परमेश्वर की घृणा के शिकार हो जाएँगे और नकार दिए जाएँगे। फरीसियों के पापों की तुलना में उनके पाप संख्या में बहुत अधिक और ज्यादा संगीन हैं, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया है और वे परमेश्वर के प्रति विद्रोही हैं। ऐसे लोग, जो सेवा करने के भी योग्य नहीं हैं, अधिक कठोर दंड प्राप्त करेंगे, जो चिरस्थायी भी होगा। परमेश्वर ऐसे किसी भी गद्दार को नहीं छोड़ेगा, जिसने एक बार तो वचनों से वफादारी दिखाई, मगर फिर परमेश्वर को धोखा दे दिया। ऐसे लोग आत्मा, प्राण और शरीर के दंड के माध्यम से प्रतिफल प्राप्त करेंगे। क्या यह हूबहू परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव का प्रकटन नहीं है? क्या मनुष्य का न्याय करने और उसे उजागर करने में परमेश्वर का यह उद्देश्य नहीं है? परमेश्वर उन सभी को, जो न्याय के समय के दौरान सभी प्रकार के दुष्ट कर्म करते हैं, दुष्टात्माओं से आक्रांत स्थान पर भेजता है, और उन दुष्टात्माओं को इच्छानुसार उनके दैहिक शरीर नष्ट करने देता है, और उन लोगों के शरीरों से लाश की दुर्गंध निकलती है। ऐसा उनका उचित प्रतिशोध है। परमेश्वर उन निष्ठाहीन झूठे विश्वासियों, झूठे प्रेरितों और झूठे कार्यकर्ताओं का हर पाप उनकी अभिलेख-पुस्तकों में लिखता है; और फिर जब सही समय आता है, वह उन्हें गंदी आत्माओं के बीच में फेंक देता है, और उन अशुद्ध आत्माओं को इच्छानुसार उनके संपूर्ण शरीरों को दूषित करने देता है, ताकि वे कभी भी पुन: देहधारण न कर सकें और दोबारा कभी भी रोशनी न देख सकें। वे पाखंडी, जो किसी समय सेवा करते हैं, किंतु अंत तक वफ़ादार बने रहने में असमर्थ रहते हैं, परमेश्वर द्वारा दुष्टों में गिने जाते हैं, ताकि वे दुष्टों की संगति में पड़ जाएँ, और उनकी उपद्रवी भीड़ का हिस्सा बन जाएँ; अंत में परमेश्वर उन्हें जड़ से मिटा देगा। परमेश्वर उन लोगों को अलग फेंक देता है और उन पर कोई ध्यान नहीं देता, जो कभी भी मसीह के प्रति वफादार नहीं रहे या जिन्होंने अपने सामर्थ्य का कुछ भी योगदान नहीं किया, और युग बदलने पर वह उन सभी को जड़ से मिटा देगा। वे अब और पृथ्वी पर मौजूद नहीं रहेंगे, परमेश्वर के राज्य का मार्ग तो बिलकुल भी प्राप्त नहीं करेंगे। जो कभी भी परमेश्वर के प्रति ईमानदार नहीं रहे, किंतु उसके साथ बेमन से व्यवहार करने के लिए परिस्थिति द्वारा मजबूर किए जाते हैं, वे परमेश्वर के लोगों की सेवा करने वालों में गिने जाते हैं। ऐसे लोगों की एक छोटी-सी संख्या ही जीवित बचेगी, जबकि बड़ी संख्या उन लोगों के साथ नष्ट हो जाएगी, जिनके द्वारा प्रदान की गई सेवा मानक स्तर की नहीं होती। अंतत: परमेश्वर उन सभी को, जिनका मन परमेश्वर के समान है, अपने लोगों और पुत्रों को, और परमेश्वर द्वारा याजक बनाए जाने के लिए पूर्वनियत लोगों को अपने राज्य में ले आएगा। वे परमेश्वर के कार्य के परिणाम होंगे। जहाँ तक उन लोगों का प्रश्न है, जो परमेश्वर द्वारा निर्धारित किसी भी श्रेणी में नहीं आ सकते, वे अविश्वासियों में गिने जाएँगे—तुम लोग निश्चित रूप से कल्पना कर सकते हो कि उनका क्या परिणाम होगा। मैं तुम सभी लोगों से पहले ही वह कह चुका हूँ, जो मुझे कहना चाहिए; जो मार्ग तुम लोग चुनते हो, वह केवल तुम्हारी पसंद है। तुम लोगों को जो समझना चाहिए, वह यह है : परमेश्वर का कार्य ऐसे किसी शख्स का इंतज़ार नहीं करता, जो उसके साथ कदमताल नहीं कर सकता, और परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव किसी भी मनुष्य के प्रति कोई दया नहीं दिखाता।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है

जो लोग केवल अपने देह-सुख की सोचते हैं और सुख-साधनों का आनंद लेते हैं; जो विश्वास रखते हुए प्रतीत होते हैं लेकिन सचमुच विश्वास नहीं रखते; जो बुरी औषधियों और जादू-टोने में लिप्त रहते हैं; जो व्यभिचारी हैं, जो बिखर चुके हैं, तार-तार हो चुके हैं; जो यहोवा के चढ़ावे और उसकी संपत्ति को चुराते हैं; जिन्हें रिश्वत पसंद है; जो व्यर्थ में स्वर्गारोहित होने के सपने देखते हैं; जो अहंकारी और दंभी हैं, जो केवल व्यक्तिगत शोहरत और धन-दौलत के लिए संघर्ष करते हैं; जो कर्कश शब्दों को फैलाते हैं; जो स्वयं परमेश्वर की निंदा करते हैं; जो स्वयं परमेश्वर की आलोचना और बुराई करने के अलावा कुछ नहीं करते; जो गुटबाज़ी करते हैं और स्वतंत्रता चाहते हैं; जो खुद को परमेश्वर से भी ऊँचा उठाते हैं; वे तुच्छ नौजवान, अधेड़ उम्र के लोग और बुज़ुर्ग स्त्री-पुरुष जो व्यभिचार में फँसे हुए हैं; जो स्त्री-पुरुष निजी शोहरत और धन-दौलत का मज़ा लेते हैं और लोगों के बीच निजी रुतबा तलाशते हैं; जिन लोगों को कोई मलाल नहीं है और जो पाप में फँसे हुए हैं—क्या वे तमाम लोग उद्धार से परे नहीं हैं? व्यभिचार, पाप, बुरी औषधि, जादू-टोना, अश्लील भाषा और असभ्य शब्द सब तुम लोगों में निरंकुशता से फैल रहे हैं; सत्य और जीवन के वचन तुम लोगों के बीच कुचले जाते हैं और तुम लोगों के मध्य पवित्र भाषा मलिन की जाती है। तुम मलिनता और अवज्ञा से भरे हुए अन्यजाति राष्ट्रो! तुम लोगों का अंतिम परिणाम क्या होगा? जिन्हें देह-सुख से प्यार है, जो देह का जादू-टोना करते हैं, और जो व्यभिचार के पाप में फँसे हुए हैं, वे जीते रहने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं! क्या तुम नहीं जानते कि तुम जैसे लोग कीड़े-मकौड़े हैं जो उद्धार से परे हैं? किसी भी चीज़ की माँग करने का हक तुम्हें किसने दिया? आज तक, उन लोगों में ज़रा-सा भी परिवर्तन नहीं आया है जिन्हें सत्य से प्रेम नहीं है, जो केवल देह से प्यार करते हैं—ऐसे लोगों को कैसे बचाया जा सकता है? जो जीवन के मार्ग को प्रेम नहीं करते, जो परमेश्वर को ऊँचा उठाकर उसकी गवाही नहीं देते, जो अपने रुतबे के लिए षडयंत्र रचते हैं, जो अपनी प्रशंसा करते हैं—क्या वे आज भी वैसे ही नहीं हैं? उन्हें बचाने का क्या मूल्य है? तुम्हारा बचाया जाना इस बात पर निर्भर नहीं है कि तुम कितने वरिष्ठ हो या तुम कितने साल से काम कर रहे हो, और इस बात पर तो बिल्कुल भी निर्भर नहीं है कि तुमने कितनी साख बना ली है। बल्कि इस बात पर निर्भर है कि क्या तुम्हारा लक्ष्य फलीभूत हुआ है। तुम्हें यह जानना चाहिए कि जिन्हें बचाया जाता है वे ऐसे "वृक्ष" होते हैं जिन पर फल लगते हैं, ऐसे वृक्ष नहीं जो हरी-भरी पत्तियों और फूलों से तो लदे होते हैं, लेकिन जिन पर फल नहीं आते। अगर तुम बरसों तक भी गलियों की खाक छानते रहे हो, तो उससे क्या फर्क पड़ता है? तुम्हारी गवाही कहाँ है? परमेश्वर के प्रति तुम्हारी श्रद्धा, खुद के लिए तुम्हारे प्रेम और तुम्हारी वासनायुक्त कामनाओं से कहीं कम है—क्या इस तरह का व्यक्ति पतित नहीं है? वे उद्धार के लिए नमूना और आदर्श कैसे हो सकते हैं? तुम्हारी प्रकृति सुधर नहीं सकती, तुम बहुत ही विद्रोही हो, तुम्हारा उद्धार नहीं हो सकता! क्या ऐसे लोगों को हटा नहीं दिया जाएगा? क्या मेरे काम के समाप्त हो जाने का समय तुम्हारा अंत आने का समय नहीं है? मैंने तुम लोगों के बीच बहुत सारा कार्य किया है और बहुत सारे वचन बोले हैं—इनमें से कितने सच में तुम लोगों के कानों में गए हैं? इनमें से कितनों का तुमने कभी पालन किया है? जब मेरा कार्य समाप्त होगा, तो यह वो समय होगा जब तुम मेरा विरोध करना बंद कर दोगे, तुम मेरे खिलाफ खड़ा होना बंद कर दोगे। जब मैं काम करता हूँ, तो तुम लोग लगातार मेरे खिलाफ काम करते रहते हो; तुम लोग कभी मेरे वचनों का अनुपालन नहीं करते। मैं अपना कार्य करता हूँ, और तुम अपना "काम" करते हो, और अपना छोटा-सा राज्य बनाते हो। तुम लोग लोमड़ियों और कुत्तों से कम नहीं हो, सब-कुछ मेरे विरोध में कर रहे हो! तुम लगातार उन्हें अपने आगोश में लाने का प्रयास कर रहे हो जो तुम्हें अपना अविभक्त प्रेम समर्पित करते हैं—तुम लोगों की श्रद्धा कहाँ है? तुम्हारा हर काम कपट से भरा होता है! तुम्हारे अंदर न आज्ञाकारिता है, न श्रद्धा है, तुम्हारा हर काम कपटपूर्ण और ईश-निंदा करने वाला होता है! क्या ऐसे लोगों को बचाया जा सकता है? जो पुरुष यौन-संबंधों में अनैतिक और लम्पट होते हैं, वे हमेशा कामोत्तेजक वेश्याओं को आकर्षित करके उनके साथ मौज-मस्ती करना चाहते हैं। मैं ऐसे काम-वासना में लिप्त अनैतिक राक्षसों को कतई नहीं बचाऊंगा। मैं तुम मलिन राक्षसों से घृणा करता हूँ, तुम्हारा व्यभिचार और तुम्हारी कामोत्तेजना तुम लोगों को नरक में धकेल देगी। तुम लोगों को अपने बारे में क्या कहना है? मलिन राक्षसो और दुष्ट आत्माओ, तुम लोग घिनौने हो! तुम निकृष्ट हो! ऐसे कूड़े-करकट को कैसे बचाया जा सकता है? क्या ऐसे लोगों को जो पाप में फँसे हुए हैं, उन्हें अब भी बचाया जा सकता है? आज, यह सत्य, यह मार्ग और यह जीवन तुम लोगों को आकर्षित नहीं करता; बल्कि, तुम लोग पाप की ओर, धन की ओर, रुतबे की ओर, शोहरत और लाभ की ओर आकर्षित होते हो; देह-सुख की ओर आकर्षित होते हो; सुंदर स्त्री-पुरुषों की ओर आकर्षित होते हो। मेरे राज्य में प्रवेश करने की तुम लोगों की क्या पात्रता है? तुम लोगों की छवि परमेश्वर से भी बड़ी है, तुम लोगों का रुतबा परमेश्वर से भी ऊँचा है, लोगों में तुम्हारी प्रतिष्ठा का तो कहना ही क्या—तुम लोग ऐसे आदर्श बन गए हो जिन्हें लोग पूजते हैं। क्या तुम प्रधान स्वर्गदूत नहीं बन गए हो? जब लोगों के परिणाम उजागर होते हैं, जो वो समय भी है जब उद्धार का कार्य समाप्ति के करीब होने लगेगा, तो तुम लोगों में से बहुत-से ऐसी लाश होंगे जो उद्धार से परे होंगे और जिन्हें हटा दिया जाना होगा। उद्धार-कार्य के दौरान, मैं सभी लोगों के प्रति दयालु और नेक होता हूँ। जब कार्य समाप्त होता है, तो अलग-अलग किस्म के लोगों का परिणाम प्रकट किया जाएगा, और उस समय, मैं दयालु और नेक नहीं रहूँगा, क्योंकि लोगों का परिणाम प्रकट हो चुका होगा, और हर एक को उसकी किस्म के अनुसार वर्गीकृत कर दिया गया होगा, फिर और अधिक उद्धार-कार्य करने का कोई मतलब नहीं होगा, क्योंकि उद्धार का युग गुज़र चुका होगा, और गुज़र जाने के बाद वह वापस नहीं आएगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अभ्यास (7)

किन्तु जब तक पुराने संसार का अस्तित्व बना रहता है, मैं अपना प्रचण्ड रोष इसके राष्ट्रों के ऊपर पूरी ज़ोर से बरसाऊंगा, समूचे ब्रह्माण्ड में खुलेआम अपनी प्रशासनिक आज्ञाएँ लागू करूँगा, और जो कोई उनका उल्लंघन करेगा, उनको ताड़ना दूँगा:

जैसे ही मैं बोलने के लिए ब्रह्माण्ड की तरफ अपना चेहरा घुमाता हूँ, सारी मानवजाति मेरी आवाज़ सुनती है, और उसके उपरांत उन सभी कार्यों को देखती है जिन्हें मैंने समूचे ब्रह्माण्ड में गढ़ा है। वे जो मेरी इच्छा के विरूद्ध खड़े होते हैं, अर्थात् जो मनुष्य के कर्मों से मेरा विरोध करते हैं, वे मेरी ताड़ना के अधीन आएँगे। मैं स्वर्ग के असंख्य तारों को लूँगा और उन्हें फिर से नया कर दूँगा, और, मेरी बदौलत, सूर्य और चन्द्रमा नये हो जाएँगे—आकाश अब और वैसा नहीं रहेगा जैसा वह था और पृथ्वी पर बेशुमार चीज़ों को फिर से नया बना दिया जाएगा। मेरे वचनों के माध्यम से सभी पूर्ण हो जाएँगे। ब्रह्माण्ड के भीतर अनेक राष्ट्रों को नए सिरे से बाँटा जाएगा और उनका स्थान मेरा राज्य लेगा, जिससे पृथ्वी पर विद्यमान राष्ट्र हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएँगे और एक राज्य बन जाएँगे जो मेरी आराधना करता है; पृथ्वी के सभी राष्ट्रों को नष्ट कर दिया जाएगा और उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। ब्रह्माण्ड के भीतर मनुष्यों में से उन सभी का, जो शैतान से संबंध रखते हैं, सर्वनाश कर दिया जाएगा, और वे सभी जो शैतान की आराधना करते हैं उन्हें मेरी जलती हुई आग के द्वारा धराशायी कर दिया जायेगा—अर्थात उनको छोड़कर जो अभी धारा के अन्तर्गत हैं, शेष सभी को राख में बदल दिया जाएगा। जब मैं बहुत-से लोगों को ताड़ना देता हूँ, तो वे जो धार्मिक संसार में हैं, मेरे कार्यों के द्वारा जीते जाने के उपरांत, भिन्न-भिन्न अंशों में, मेरे राज्य में लौट आएँगे, क्योंकि उन्होंने एक श्वेत बादल पर सवार पवित्र जन के आगमन को देख लिया होगा। सभी लोगों को उनकी किस्म के अनुसार अलग-अलग किया जाएगा, और वे अपने-अपने कार्यों के अनुरूप ताड़नाएँ प्राप्त करेंगे। वे सब जो मेरे विरुद्ध खड़े हुए हैं, नष्ट हो जाएँगे; जहाँ तक उनकी बात है, जिन्होंने पृथ्वी पर अपने कर्मों में मुझे शामिल नहीं किया है, उन्होंने जिस तरह अपने आपको दोषमुक्त किया है, उसके कारण वे पृथ्वी पर मेरे पुत्रों और मेरे लोगों के शासन के अधीन निरन्तर अस्तित्व में बने रहेंगे। मैं अपने आपको असंख्य लोगों और असंख्य राष्ट्रों के सामने प्रकट करूँगा, और अपनी वाणी से, पृथ्वी पर ज़ोर-ज़ोर से और ऊंचे तथा स्पष्ट स्वर में, अपने महा कार्य के पूरे होने की उद्घोषणा करूँगा, ताकि समस्त मानवजाति अपनी आँखों से देखे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 26

अब मैं अपने लोगों के मध्य चल रहा हूँ, और उनके मध्य रह रहा हूँ। आज जो लोग मेरे लिए वास्तविक प्रेम रखते हैं, ऐसे लोग धन्य हैं। धन्य हैं वे लोग जो मुझे समर्पित हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में रहेंगे। धन्य हैं वे लोग जो मुझे जानते हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में शक्ति प्राप्त करेंगे। धन्य हैं वे जो मुझे खोजते हैं, वे निश्चय ही शैतान के बंधनों से स्वतंत्र होंगे और मेरे आशीषों का आनन्द लेंगे। धन्य हैं वे लोग जो अपनी दैहिक-इच्छाओं को मेरे लिए त्यागते हैं, वे निश्चय ही मेरे राज्य में प्रवेश करेंगे और मेरे राज्य की प्रचुरता पाएंगे। जो लोग मेरी खातिर दौड़-भाग करते हैं उन्हें मैं याद रखूंगा, जो लोग मेरे लिए व्यय करते हैं, मैं उन्हें आनन्द से गले लगाऊंगा, और जो लोग मुझे भेंट देते हैं, मैं उन्हें आनन्द दूंगा। जो लोग मेरे वचनों में आनन्द प्राप्त करते हैं, उन्हें मैं आशीष दूंगा; वे निश्चय ही ऐसे खम्भे होंगे जो मेरे राज्य में शहतीर को थामेंगे, वे निश्चय ही मेरे घर में अतुलनीय प्रचुरता को प्राप्त करेंगे और उनके साथ कोई तुलना नहीं कर पाएगा। क्या तुम लोगों ने कभी मिलने वाले आशीषों को स्वीकार किया है? क्या कभी तुमने उन वादों को खोजा जो तुम्हारे लिए किए गए थे? तुम लोग निश्चय ही मेरी रोशनी के नेतृत्व में, अंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति को नहीं खोओगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी होगे। तुम लोग निश्चय ही शैतान के सामने विजेता बनोगे। तुम सब निश्चय ही बड़े लाल अजगर के राज्य के पतन के समय, मेरी विजय की गवाही देने के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही सिनिम के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम लोग जो कष्ट सह रहे हो, उनसे तुम मेरे आशीष प्राप्त करोगे और निश्चय ही सकल ब्रह्माण्ड में मेरी महिमा का विस्तार करोगे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 19

उठ, और मेरे साथ सहयोग कर! मैं निश्चित रूप से उन लोगों के साथ क्षुद्रता से व्यवहार नहीं करूँगा जो ईमानदारी से खुद को मेरे लिए खपाते हैं। जो अपने आप को ईमानदारी से मेरे प्रति समर्पित करता है, मैं तुझे अपने सभी आशीष प्रदान करूँगा। अपने आप को पूरी तरह से मेरे प्रति अर्पित कर दे! तू क्या खाता है, क्या पहनता है, और तेरा भविष्य, ये सब मेरे हाथों में है; मैं सब को ठीक प्रकार से व्यवस्थित कर दूँगा, ताकि तू असीमित आनंद पा सके जो कभी ख़त्म न हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने कहा है, "जो ईमानदारी से मेरे लिए स्वयं को खपाता है, मैं निश्चित रूप से तुझे बहुत आशीष दूँगा।" हर वह व्यक्ति जो खुद को ईमानदारी से मेरे लिए खपाता है, उस पर सारी आशीषें आएँगी।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 70

वे सारी चीजें जो मैंने तुम लोगों के लिए तैयार की हैं―अर्थात, दुनिया भर के दुर्लभ और अनमोल ख़जाने―तुम्हें दी जाएँगी। वर्तमान में तुमलोग इनके बारे में अनुमान या कल्पना भी नहीं कर सकते हो, और किसी भी मनुष्य ने इससे पहले इनका आनंद नहीं लिया है। जब ये आशीष तुमलोगों को प्राप्त होंगे, तो तुमलोग एक अंतहीन हर्षोन्माद की स्थिति में होगे, किन्तु यह न भूलना कि ये सब मेरी सामर्थ्य, मेरे कार्यकलाप, मेरी धार्मिकता और उनसे भी बढ़कर, मेरे प्रताप से हैं। (मैं उनलोगों के प्रति अनुग्रहशील रहूँगा जिन्हें मैं अपने अनुग्रह के लिए चुनता हूँ, और मैं उनलोगों के प्रति दयालु रहूँगा जिन्हें मैं अपनी दया के लिए चुनता हूँ।) उस समय तुमलोगों के कोई माता-पिता नहीं होंगे, और कोई रक्त-संबंधी नहीं होंगे। मेरे प्यारे पुत्रो, तुम सब वे लोग हो जिनसे मैं प्रेम करता हूँ। तब से कोई भी तुम लोगों को सताने का साहस नहीं करेगा। यह तुम लोगों के लिए वयस्क बनने का समय होगा, और राष्ट्रों पर एक लौह दण्ड के साथ शासन करने का समय होगा। कौन मेरे प्यारे पुत्रों को रोकने का साहस करता है? कौन मेरे प्यारे पुत्रों पर हमला करने का साहस करता है? वे सभी मेरे प्रिय पुत्रों का आदर करेंगे क्योंकि परमपिता ने महिमा प्राप्त की है। वे सभी चीज़ें जिनकी कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था, तुम लोगों की आँखों के सामने दिखाई देंगी। वे असीम, अक्षय और अंतहीन होंगी। शीघ्र ही, निश्चय ही तुम लोगों को धूप से झुलसने और अति कष्टदायी गर्मी को सहने की अब और आवश्यकता नहीं होगी। न तो तुम लोगों को सर्दी झेलनी पड़ेगी, और न ही वर्षा, बर्फ या हवाएँ तुम लोगों तक पहुँच पाएँगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं तुम लोगों से प्रेम करता हूँ, और यह पूरी तरह से मेरे प्रेम की दुनिया होगी। मैं तुम लोगों को वह सबकुछ दूँगा जो तुम लोग चाहते हो, और मैं उस हर चीज़ को तैयार कर दूँगा जिसकी तुम लोगों को आवश्यकता है। कौन यह कहने की हिम्मत करता है कि मैं धार्मिक नहीं हूँ? मैं तुझे फ़ौरन मार डालूँगा, क्योंकि मैं पहले ही कह चुका हूँ कि मेरा कोप (दुष्ट लोगों के खिलाफ़) अनंत काल तक चलेगा, और मैं ज़रा-सी भी नरमी नहीं दिखाऊँगा। हालाँकि, मेरा प्रेम (मेरे प्रिय पुत्रों के लिए) भी अनंत काल तक चलेगा; मैं इसे ज़रा-सा भी रोक कर नहीं रखूँगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 84

एक बार जब विजय का कार्य पूरा कर लिया जाएगा, तब मनुष्य को एक सुंदर संसार में लाया जाएगा। निस्संदेह, यह जीवन तब भी पृथ्वी पर ही होगा, किंतु यह मनुष्य के आज के जीवन के बिलकुल विपरीत होगा। यह वह जीवन है, जो संपूर्ण मानव-जाति पर विजय प्राप्त कर लिए जाने के बाद मानव-जाति के पास होगा, यह पृथ्वी पर मनुष्य के लिए एक नई शुरुआत होगी, और मनुष्य के पास इस प्रकार का जीवन होना इस बात का सबूत होगा कि मनुष्य ने एक नए और सुंदर क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है। यह पृथ्वी पर मनुष्य और परमेश्वर के जीवन की शुरुआत होगी। ऐसे सुंदर जीवन का आधार ऐसा होना चाहिए, कि मनुष्य को शुद्ध कर दिए जाने और उस पर विजय पा लिए जाने के बाद वह परमेश्वर के सम्मुख समर्पण कर दे। और इसलिए, मानव-जाति के अद्भुत मंज़िल में प्रवेश करने से पहले विजय का कार्य परमेश्वर के कार्य का अंतिम चरण है। ऐसा जीवन ही पृथ्वी पर मनुष्य का भविष्य का जीवन है, पृथ्वी पर सबसे अधिक सुंदर जीवन, उस प्रकार का जीवन जिसकी लालसा मनुष्य करता है, और उस प्रकार का जीवन, जिसे मनुष्य ने संसार के इतिहास में पहले कभी प्राप्त नहीं किया है। यह 6,000 वर्षों के प्रबधंन के कार्य का अंतिम परिणाम है, यह वही है जिसकी मानव-जाति सर्वाधिक अभिलाषा करती है, और यह मनुष्य के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा भी है। किंतु यह प्रतिज्ञा तुरंत पूरी नहीं हो सकती : मनुष्य भविष्य की मंज़िल में केवल तभी प्रवेश करेगा, जब अंत के दिनों का कार्य पूरा कर लिया जाएगा और उस पर पूरी तरह से विजय पा ली जाएगी, अर्थात् जब शैतान को पूरी तरह से पराजित कर दिया जाएगा। शुद्ध कर दिए जाने के बाद मनुष्य पापपूर्ण स्वभाव से रहित हो जाएगा, क्योंकि परमेश्वर ने शैतान को पराजित कर दिया होगा, अर्थात् विरोधी ताक़तों द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं होगा, और कोई विरोधी ताक़तें नहीं होंगी जो मनुष्य की देह पर आक्रमण कर सकें। और इसलिए मनुष्य स्वतंत्र और पवित्र होगा—वह शाश्वतता में प्रवेश कर चुका होगा।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मनुष्य के सामान्य जीवन को बहाल करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना

जब मनुष्यों को उनकी मूल समानता में बहाल कर लिया जाएगा, और जब वे अपने-अपने कर्तव्य निभा सकेंगे, अपने उचित स्थानों पर बने रह सकेंगे और परमेश्वर की सभी व्यवस्थाओं को समर्पण कर सकेंगे, तब परमेश्वर ने पृथ्वी पर उन लोगों का एक समूह प्राप्त कर लिया होगा, जो उसकी आराधना करते हैं और उसने पृथ्वी पर एक राज्य भी स्थापित कर लिया होगा, जो उसकी आराधना करता है। पृथ्वी पर उसकी अनंत विजय होगी और वे सभी जो उसके विरोध में हैं, अनंतकाल के लिए नष्ट हो जाएँगे। इससे मनुष्य का सृजन करने की उसकी मूल इच्छा बहाल होगी; इससे सब चीज़ों के सृजन की उसकी मूल इच्छा बहाल होगी और इससे पृथ्वी पर सभी चीज़ों पर और शत्रुओं के बीच उसका अधिकार भी बहाल हो जाएगा। ये उसकी संपूर्ण विजय के प्रतीक होंगे। इसके बाद से मानवता विश्राम में प्रवेश करेगी और ऐसे जीवन में प्रवेश करेगी, जो सही मार्ग पर है। मानवता के साथ परमेश्वर भी अनंत विश्राम में प्रवेश करेगा और मनुष्यों और स्वयं के साथ एक अनंत जीवन का आरंभ करेगा। पृथ्वी पर से गंदगी और अवज्ञा ग़ायब हो जाएगी, पृथ्वी पर से सारा विलाप भी समाप्त हो जाएगा और परमेश्वर का विरोध करने वाली प्रत्येक चीज़ का अस्तित्व नहीं रहेगा। केवल परमेश्वर और वही लोग बचेंगे, जिनका उसने उद्धार किया है; केवल उसकी सृष्टि ही बचेगी।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर और मनुष्य साथ-साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे

केवल वे जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, परमेश्वर की गवाही दे पाते हैं, केवल वे ही परमेश्वर के गवाह हैं, केवल वे ही परमेश्वर द्वारा धन्य किए जाते हैं, और केवल वे ही परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ प्राप्त कर पाते हैं। वे जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, परमेश्वर के अंतरंग हैं; वे परमेश्वर के प्रिय लोग हैं, और वे परमेश्वर के साथ आशीषों का आनंद ले सकते हैं। केवल ऐसे लोग ही अनंत काल तक जीवित रहेंगे, और केवल वे ही हमेशा के लिए परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा में रहेंगे। परमेश्वर लोगों द्वारा प्रेम किए जाने के लिए है, और वह सभी लोगों द्वारा प्रेम किए जाने योग्य है, परंतु सभी लोग परमेश्वर से प्रेम करने में सक्षम नहीं हैं, और न ही सभी लोग परमेश्वर की गवाही दे सकते हैं और परमेश्वर के सामर्थ्य में सहभागी हो सकते हैं। चूँकि परमेश्वर से सचमुच प्रेम करने वाले लोग ही परमेश्वर की गवाही दे पाते हैं और परमेश्वर के कार्य के लिए अपने सभी प्रयास समर्पित कर पाते हैं, इसलिए वे स्वर्ग के नीचे कहीं भी घूम सकते हैं और कोई उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं कर सकता, और वे पृथ्वी पर शक्ति का प्रयोग और परमेश्वर के सभी लोगों पर शासन कर सकते हैं। ये लोग दुनिया भर से एक-साथ आए हैं। वे अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं और उनकी त्वचा के रंग भिन्न-भिन्न हैं, परंतु उनके अस्तित्व का समान अर्थ है; उन सबके पास परमेश्वर से प्रेम करने वाला हृदय है, वे सब एक ही गवाही देते हैं, और उनका एक ही संकल्प और एक ही इच्छा है। जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे समूचे संसार में कहीं भी स्वतंत्रता से घूम सकते हैं; और जो परमेश्वर की गवाही देते हैं, वे संपूर्ण ब्रह्मांड में यात्रा कर सकते हैं। वे लोग परमेश्वर के प्रिय लोग हैं, वे परमेश्वर द्वारा धन्य किए गए लोग हैं, और वे सदैव उसके प्रकाश के भीतर रहेंगे।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर से प्रेम करने वाले लोग सदैव उसके प्रकाश के भीतर रहेंगे

जिन लोगों को परमेश्वर पूर्ण बनाने का इरादा रखता है, वे सब उसके आशीष और उसकी विरासत प्राप्त करेंगे। अर्थात्, वे वही ग्रहण करते हैं जो परमेश्वर के पास है और वह जो है, ताकि यह वह बन जाए जो उनके भीतर है; उनमें परमेश्वर के सारे वचन गढ़े हुए हैं; परमेश्वर जो है, तुम लोग उसे ठीक जैसा है वैसा लेने और इस प्रकार सत्य को जीवन में उतारने में सक्षम हो। ऐसे ही व्यक्ति को परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाया और प्राप्त किया जाता है। केवल इसी प्रकार का मनुष्य परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले आशीष पाने योग्य है :

1. परमेश्वर के संपूर्ण प्रेम को पाना।

2. सभी बातों में परमेश्वर की इच्छानुसार चलना।

3. परमेश्वर के मार्गदर्शन को पाना, परमेश्वर के प्रकाश में जीवन व्यतीत करना और परमेश्वर का प्रबोधन प्राप्त करना।

4. पृथ्वी पर परमेश्वर को प्रिय लगने वाली छवि जीना; परमेश्वर से सच्चा प्रेम करना जैसा कि पतरस ने किया, जिसे परमेश्वर के लिए सलीब पर चढ़ा दिया गया और जो परमेश्वर के प्रेम के प्रतिदान में मरने के लिए तैयार हो गया; पतरस के समान महिमा प्राप्त करना।

5. पृथ्वी पर सभी का प्रिय, सम्मानित और प्रशंसित बनना।

6. मृत्यु और पाताल के सारे बंधनों पर काबू पाना, शैतान को कार्य करने का कोई अवसर न देना, परमेश्वर के अधीन रहना, एक ताज़ा और जीवंत आत्मा के भीतर रहना, और हारा-थका नहीं रहना।

7. जीवन भर हर समय उत्साह और उमंग की एक अवर्णनीय भावना रखना, मानो परमेश्वर की महिमा के दिन का आगमन देख लिया हो।

8. परमेश्वर के साथ महिमा को जीतना और परमेश्वर के प्रिय संतों जैसा चेहरा रखना।

9. वह बनना जो पृथ्वी पर परमेश्वर को प्रिय है, अर्थात्, परमेश्वर का प्रिय पुत्र।

10. स्वरूप बदलना और परमेश्वर के साथ तीसरे स्वर्ग में आरोहण करना तथा देह के पार जाना।

केवल परमेश्वर के आशीषों को विरासत में प्राप्त कर सकने वाले लोग ही परमेश्वर द्वारा पूर्ण और प्राप्त किए जाते हैं। क्या तुमने वर्तमान में कुछ प्राप्त किया है? किस सीमा तक परमेश्वर ने तुम्हें पूर्ण बनाया है? परमेश्वर मनुष्य को संयोग से पूर्ण नहीं बनाता; उसका मनुष्य को पूर्ण बनाना सशर्त है, और उसके स्पष्ट, गोचर परिणाम हैं। ऐसा नहीं है, जैसा कि मनुष्य कल्पना करता है, कि जब तक परमेश्वर में उसका विश्वास है, उसे परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाया और प्राप्त किया जा सकता है, और वह पृथ्वी पर परमेश्वर के आशीष और विरासत प्राप्त कर सकता है। ऐसी बातें बहुत ही कठिन हैं—लोगों के स्वरूप बदलने के बारे में तो कहना ही क्या! वर्तमान में, तुम लोगों को जो मुख्य रूप से कोशिश करनी चाहिए, वह है सब बातों में परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाया जाना, और उन सब लोगों, मामलों और चीजों के माध्यम से परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाया जाना, जिनसे तुम लोगों का सामना होता है, ताकि परमेश्वर जो है, वह और अधिक तुम्हारे अंदर गढ़ा जाए। तुम्हें पहले पृथ्वी पर परमेश्वर की विरासत को पाना है; केवल तभी तुम और अधिक विरासत पाने के पात्र बनोगे। ये सब ही वे चीज़ें हैं, जिन्हें तुम लोगों को खोजना चाहिए और अन्य सब चीजों से पहले समझना चाहिए।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रतिज्ञाएँ उनके लिए जो पूर्ण बनाए जा चुके हैं

पिछला: 7. परमेश्वर पर विश्वास करने वालों को अपने गंतव्य के लिए भले कार्यों से पर्याप्त होकर तैयार होना चाहिए

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी...

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