428 परमेश्वर के सामने शांत कैसे रहें
लोगों और चीज़ों से दूर जाओ, आत्मिक भक्ति के लिए वक्त निकालो,
जहाँ अपने दिल को सुकून दे सको, ईश्वर के सामने शांत रह सको।
ईश-वचनों की अपनी समझ को लिखो कैसे उसने तुम्हें प्रेरित किया,
ये हलका हो या गहरा, ईश्वर के आगे शांत रहो।
1
हर दिन सच्चे आत्मिक जीवन को थोड़ा समय दो;
उस दिन जीवन तुम्हें समृद्ध लगेगा, दिल तुम्हारा उजला और रोशन होगा।
ईश्वर को दिल अधिक दोगे तुम, आत्मा तुम्हारी अधिक मज़बूत होगी।
पवित्रात्मा के मार्ग पर चलोगे तुम, ईश्वर के अनेक आशीष तुम पाओगे।
शुरू में इस सफ़र में शायद बेहतर परिणाम न मिलें तुम्हें,
मगर कमज़ोर न पड़ना, पीछे न हटना। बस मेहनत करते जाना।
ईश्वर के आगे अपना दिल शांत रखने के लिए,
विचारपूर्वक सहयोग करते जाना!
2
आत्मिक जीवन जितना जियोगे, ईश-वचनों से दिल तुम्हारा उतना ही भरेगा,
सदा इन बातों से जुड़ा रहेगा, सदा इस भार को वहन करेगा।
तब ईश्वर से अपने आत्मिक जीवन के ज़रिए दिल की बात करनी चाहिए तुम्हें।
उसे अपनी सोच, अपनी चाहत बताओ,
उसके वचनों पर अपनी समझ बताओ।
उससे कुछ न छिपाओ, ईश्वर को अपने दिल की बात बताओ,
अपनी सच्ची भावनाएँ बताओ, बताओ खुलकर अपने दिल का हाल।
3
ऐसा करके, उसकी प्रियता को महसूस करोगे,
अपना दिल उसके और करीब लाओगे।
ईश्वर तुम्हें सबसे प्यारा लगेगा, हर हाल में, तुम उसके साथ रहोगे।
हर दिन इसका अभ्यास करो, इसे अपने मन से मत निकालो,
इसे अपने जीवन की पुकार समझो, फिर ईश-वचन भर देंगे दिल को तुम्हारे।
मानो सदा से रहा है प्रेम दिल में तुम्हारे कोई इसे न ले पाए तुमसे।
ईश्वर रहेगा अंदर तुम्हारे, पाएगा जगह दिल में तुम्हारे।
ईश्वर के आगे अपना दिल शांत रखने के लिए,
विचारपूर्वक सहयोग करते जाना!
ईश्वर के आगे अपना दिल शांत रखने के लिए,
विचारपूर्वक सहयोग करते जाना!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन लोगों को सही मार्ग पर ले जाता है से रूपांतरित