493 क्या तुम परमेश्वर को आनंद देने वाला फल बनना चाहते हो?

1

ईश-जनों को शैतान के षडयंत्रों से चौकस रहना चाहिए,

एक-दूजे की मदद कर, ईश-गृह के द्वार की रक्षा करनी चाहिए।

ताकि बच सको शैतान के जाल से, पछतावे से।

पता है ईश्वर तुम सबको क्यों इतनी जल्दी तैयार करे?

वो क्यों तुम सबको आध्यात्मिक जगत के सच बताए?

क्यों तुम्हें बार-बार याद दिलाए, प्रेरित करे?

क्या कभी ये सोचा तुमने? क्या कभी समझा तुमने?


अतीत से सीखकर ज़्यादा अनुभवी बनो,

आज के वचनों की रोशनी में अशुद्धियाँ दूर करो।

ईश-वचनों को अपनी आत्मा में जमने

और खिलने दो, ताकि तुम उसके फल पाओ।


2

ईश्वर को चमकते फूल नहीं, फल चाहिए जो कभी ख़राब न हो।

पौधा-घर में फूल असंख्य तारों की तरह होते,

पर मुरझाने पर कोई उधर ध्यान न दे।

वो शैतान के षडयंत्रों की तरह बिखर जाते।

जो सूरज और हवा से लड़ते, ईश्वर की गवाही देते,

भले ही वो सुंदर नहीं, पर सूखकर भी फल देते।

ईश्वर को वही फल तो चाहिए।

कितना समझते तुम लोग जब ईश्वर बोले ये वचन?


अतीत से सीखकर ज़्यादा अनुभवी बनो,

आज के वचनों की रोशनी में अशुद्धियाँ दूर करो।

ईश-वचनों को अपनी आत्मा में जमने

और खिलने दो, ताकि तुम उसके फल पाओ।


ईश्वर-आनंद की ख़ातिर जब फूल मुरझाकर फल दें,

तो धरती पर ईश-कार्य पूरा होगा, वो अपने बुद्धि-फल का सुख लेगा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 3 से रूपांतरित

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