955 परमेश्वर के कार्यों के उद्देश्य और सिद्धांत स्पष्ट हैं
1 नीनवे के लोगों के प्रति परमेश्वर के द्वारा अपने इरादों को बदलने में कोई संकोच या अस्पष्टता शामिल नहीं है। इसके बजाए, यह शुद्ध-क्रोध से शुद्ध-सहनशीलता में हुआ एक रूपान्तरण था। यह परमेश्वर के सार का एक सच्चा प्रकाशन है। परमेश्वर अपने कार्यों में कभी अस्थिर या संकोची नहीं होता है; उसके कार्यों के पीछे के सिद्धान्त और उद्देश्य स्पष्ट, पारदर्शी, शुद्ध और दोषरहित होते हैं, जिसमें कोई धोखा या षड्यंत्र बिल्कुल भी नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के सार में कोई अंधकार या बुराई शामिल नहीं होती है।
2 परमेश्वर नीनवे के नागरिकों से इसलिए क्रोधित हो गया था क्योंकि उनकी दुष्टता के कार्य उसकी नज़रों में आ गए थे; उस वक्त उसका क्रोध उसके सार से निकला था। फ़िर भी, जब परमेश्वर का क्रोध जाता रहा और उसने नीनवे के लोगों पर एक बार फ़िर से सहनशीलता दिखाई, तो वह सब कुछ जो उसने प्रकट किया था वह भी उसका स्वयं का सार था। यह सम्पूर्ण परिवर्तन परमेश्वर के प्रति मनुष्य के रवैये में हुए बदलाव के कारण है। इस सम्पूर्ण अवधि के दौरान, उल्लंघन न किया जा सकने वाला परमेश्वर का स्वभाव नहीं बदला; परमेश्वर का सहनशील सार नहीं बदला; परमेश्वर का प्रेमी और करुणामय सार नहीं बदला।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II" से रूपांतरित