136 परमेश्वर का कार्य अपरिवर्तित नहीं रहता

ईश्वर ने अपना कार्य हमेशा,

नया और जीवित रखना चाहा।

इंसान से उसकी माँग युग और चरण

के साथ बदलती रहती।

सदैव एक जैसी, स्थिर नहीं रहती।

वो ऐसा ईश्वर है जो इंसान को

जीवित और नया बनाए रखता है

वो कोई शैतान नहीं, जो उसे पुराना, मृत बनाए रखे।


1

तुम्हारी ईश्वर संबंधी धारणाएँ छूट नहीं सकतीं;

क्योंकि तुम्हारा दिमाग बहुत संकुचित है,

इसलिए नहीं कि ईश्वर का काम

इंसानी इच्छा से दूर है, विवेक हीन है,

या उसे कर्तव्यों की परवाह नहीं है।


2

तुममें है आज्ञाकारिता का घोर अभाव

और नहीं है इंसानियत ज़रा-सी भी।

इसीलिए त्याग नहीं सकते तुम अपनी धारणाएँ।

ईश्वर नहीं बना रहा तुम्हारे लिए चीजों को मुश्किल।


ये तुम्हारे कारण है, इसका ईश्वर से नहीं कोई नाता।

सारे कष्ट इंसान ने खुद बनाए हैं।


ईश्वर ने अपना कार्य हमेशा,

नया और जीवित रखना चाहा।

इंसान से उसकी माँग

युग और चरण के साथ बदलती रहती।

सदैव एक जैसी, स्थिर नहीं रहती।

वो ऐसा ईश्वर है जो इंसान को

जीवित और नया बनाए रखता है

वो कोई शैतान नहीं, जो उसे पुराना, मृत बनाए रखे।


3

ईश्वर के विचार हमेशा अच्छे ही होते।

वो नहीं चाहता, तुम धारणाएँ बनाओ।

वो चाहता, नए युग के साथ

तुम भी बदलो और नए हो जाओ।

पर तुम नहीं जानते, क्या है तुम्हारे लिए अच्छा।


4

तुम हमेशा परखते, विश्लेषण करते रहते हो।

ईश्वर नहीं बना रहा तुम्हारे लिए चीजों को मुश्किल।

पर तुममें नहीं है ईश्वर के लिए आदर,

तुम्हारी अवज्ञा है बहुत ज्यादा।


एक अदना-सा प्राणी साहस करता

ईश्वर की दी हुई कोई मामूली चीज लेकर,

उससे ईश्वर पर हमला करने का,

क्या ये उसके द्वारा ईश्वर की अवज्ञा नहीं?

इंसान ईश्वर के समक्ष विचार व्यक्त करने के योग्य नहीं,

अपनी निरर्थक भाषा का प्रदर्शन करने के योग्य भीनहीं,

घिसी-पिटी धारणाओं की बात ही छोड़ो!

क्या वे और भी बेकार नहीं, बेकार नहीं? हो बेकारनहीं?


ईश्वर ने अपना कार्य हमेशा,

नया और जीवित रखना चाहा।

इंसान से उसकी माँग

युग और चरण के साथ बदलती रहती।

सदैव एक जैसी, स्थिर नहीं रहती।

वो ऐसा ईश्वर है जो इंसान को

जीवित और नया बनाए रखता है

वो कोई शैतान नहीं, जो उसे पुराना, मृत बनाए रखे।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो परमेश्वर के आज के कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर की सेवा कर सकते हैं से रूपांतरित

पिछला: 135 परमेश्वर का कार्य सदा नया होता है कभी पुराना नहीं होता

अगला: 137 परमेश्वर का समस्त कार्य परम व्यावहारिक है

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें