672 परमेश्वर के परीक्षण इंसान को शुद्ध करने के लिए होते हैं
1
ईश्वर में विश्वास रखते हुए इंसान जो खोजे वो है आशीष कल के लिए।
सबका यही लक्ष्य है, यही आशा,
पर ठीक की जानी चाहिए उनकी भ्रष्टता परीक्षण द्वारा।
तुम्हारे जो अंश अशुद्ध हैं, उन्हें शुद्ध किया जाना चाहिए।
यह परमेश्वर की व्यवस्था है।
ईश्वर बनाए ऐसी स्थिति जो तुम्हें शुद्ध होने को मजबूर करे,
ताकि तुम समझ सको अपनी भ्रष्टता।
आख़िर नौबत ये आती, तुम मरना पसंद करते,
छोड़ते अपनी इच्छा, योजना को, होते समर्पित,
ईश्वर के शासन और व्यवस्था को।
2
जो सालों ऐसे परीक्षण न झेले जो शुद्धिकरण की ओर ले जायेँ,
जिसने एक हद तक पीड़ा नहीं सही है, वो विफल होगा।
वो दिल और दिमाग में बसी देह की भ्रष्टता से खुद को नहीं छुड़ा पाएगा।
ईश्वर बनाए ऐसी स्थिति जो तुम्हें शुद्ध होने को मजबूर करे,
ताकि तुम समझ सको अपनी भ्रष्टता।
आख़िर नौबत ये आती, तुम मरना पसंद करते,
छोड़ते अपनी इच्छा, योजना को, होते समर्पित,
ईश्वर के शासन और व्यवस्था को, व्यवस्था को।
3
जिन भी पहलुओं में बंधे हो शैतान द्वारा,
जो भी इच्छाएँ हैं तुम्हारी, जिन मांगों पर भी अड़े हो,
इन्हीं पहलुओं में पीड़ा सहनी होगी तुम्हें।
दर्द दें जो इम्तिहान, उन्हीं से सीखे इंसान
पाये सत्य और समझ ईश-इच्छा की।
जब हों चीज़ें आसान तो कोई देख न सके,
सामर्थ्य और बुद्धि ईश्वर की, न समझे धार्मिकता उसकी।
ये तब संभव नहीं, जब सारी बातें सुकून दें, सब कुछ हो अनुकूल।
— "अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'परीक्षणों के बीच परमेश्वर को कैसे संतुष्ट करें' से रूपांतरित