102 परमेश्वर के तीन चरणों के कार्य ने इंसान को पूरी तरह से बचा लिया है
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तीन चरणों में बँटा ईश्वर का 6,000 सालों का काम :
व्यवस्था का, अनुग्रह का,
और युग राज्य का।
भ्रष्ट इंसान को बचाने,
शैतान से लड़ने के लिए है सब,
काम के तीन चरणों में दोनों बँटे हैं।
शैतान से ये जंग इंसान के उद्धार की खातिर है,
सफल न हो सके एक चरण में, तो ये जंग चरणों में है।
इंसान की ज़रूरत और शैतान की भ्रष्टता की हद के अनुसार
लड़ी जाए ये जंग।
तीन चरणों में बँटा है, इंसान के उद्धार का काम,
उसी तरह छिड़े शैतान से जंग।
मगर जंग के नतीजे
हासिल होते इंसान को अनुग्रह देने से,
उसके लिए पाप-बलि बनने, उसे जीतने, पूर्ण बनाने से।
2
ईश्वर शैतान से न लड़े हथियारों से,
वो इंसान के जीवन में काम करे,
बदले स्वभाव उसका, ताकि वह उसकी गवाही दे।
इसी तरह हारेगा, शर्मिंदा होगा शैतान।
जब वो होगा वश में, बचेगा इंसान।
इंसान के उद्धार का सार है शैतान से जंग,
इंसान के उद्धार में दिखे शैतान से जंग।
अंत के दिनों का चरण, जब इंसान को जीता जाएगा,
है जंग का आखिरी चरण,
उसे बचाया शैतान से जाएगा।
जो इंसान शैतान से आज़ाद होगा, तो शैतान शर्मिंदा होगा।
शैतान हारेगा और इंसान वापस आएगा।
इंसान विजय-उपहार होगा, शैतान दंडित होगा।
इंसान को बचाने का काम पूरा होगा।
तीन चरणों में बँटा है, इंसान के उद्धार का काम,
उसी तरह छिड़े शैतान से जंग।
मगर जंग के नतीजे
हासिल होते इंसान को अनुग्रह देने से,
उसके लिए पाप-बलि बनने, उसे जीतने, पूर्ण बनाने से।
उसे जीतने, पूर्ण बनाने से, जीतने, पूर्ण बनाने से।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मनुष्य के सामान्य जीवन को बहाल करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना से रूपांतरित