791 सभी चीज़ों पर परमेश्वर की संप्रभुता द्वारा उसे जानो
1
इंसान को ईश्वर की जैसी समझ होगी,
उसके दिल में ईश्वर की जगह वैसी ही होगी।
इंसान का ईश्वर के बारे में ज्ञान बताए
उसके दिल में कहाँ है ईश्वर।
जिस ईश्वर को तुम जानते, अगर वो है अस्पष्ट, खोखला
तो जिसमें है तुम्हारी आस्था, वो भी है वैसा।
तुम्हारे जीवन का दायरा परिभाषित करे ईश्वर को,
और जिसे तुम जानो नहीं वो सच्चा ईश्वर।
ईश-कार्यों को, उसकी वास्तविकता को जानना,
सृजन के बीच उसके कर्मों, उसके स्वरूप को जानना,
उसकी सर्वशक्तिमत्ता, सामर्थ्य,
सच्ची पहचान को जानना,
जाननी चाहिए उसे ये सारी बातें,
जो जानना चाहे ईश्वर को।
वास्तविकता में प्रवेश की योग्यता
आए जानने से ईश्वर के इन आयामों को।
2
अगर सीमित रखते हो अपना ईश-ज्ञान
खाली शब्दों और अपने अनुभव तक,
ईश-अनुग्रह की अपनी समझ तक,
अपनी छोटी-छोटी गवाहियों तक,
तो सच्चा न होगा तुम्हारी आस्था का ईश्वर।
काल्पनिक होगा तुम्हारा ईश्वर।
सच्चा ईश्वर हर चीज़ पर शासन करे,
वही हर चीज़ का प्रबंधन करे।
नियति हर इंसान, हर चीज़ की है
ईश्वर के हाथों में।
उसका काम और कर्म सीमित नहीं
सिर्फ़ अपने अनुयायियों तक।
उसके कर्म साफ़ नज़र आते हैं
सभी को हर चीज़ में,
हर चीज़ के अस्तित्व में
हर चीज़ के बदलाव के नियमों में।
ईश-कार्यों को, उसकी वास्तविकता को जानना,
सृजन के बीच उसके कर्मों, उसके स्वरूप को जानना,
उसकी सर्वशक्तिमत्ता, सामर्थ्य,
सच्ची पहचान को जानना,
जाननी चाहिए उसे ये सारी बातें,
जो जानना चाहे ईश्वर को।
वास्तविकता में प्रवेश की योग्यता
आए जानने से ईश्वर के इन आयामों को।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX से रूपांतरित