294 परमेश्वर की दया ने मनुष्य को आज तक जीवित रखा है

1 मानवों ने मेरे कार्यों में से एक भी कार्य कभी नहीं देखा है, न ही उन्होंने मेरे कथनों में से एक भी कथन कभी सुना है। यदि उन्होंने मेरे कार्य देखे होते, तो उन्हें क्या पता लगा होता? और यदि वे मुझे बोलते हुए सुनते, तो उन्होंने क्या समझा होता? समूचे संसार में, सब कुछ मेरी दया और कृपालु प्रेम के भीतर विद्यमान है, परंतु ऐसे तो समूची मानवता भी मेरे न्याय के अंतर्गत निहित है, और इसी प्रकार मेरे परीक्षणों के अधीन भी है। मैं लोगों के प्रति दयावान और प्रेममयी रहा हूँ, यहाँ तक कि तब भी जब वे सब कुछ सीमा तक भ्रष्ट कर दिए गए थे; मैंने उन्हें ताड़ना प्रदान की है, तब भी जब उन सभी ने मेरे सिंहासन के आगे समर्पण कर दिया था। परंतु क्या कोई मानव प्राणी है जो मेरे द्वारा भेजी गई पीड़ा और शुद्धिकरण के बीच नहीं है?

2 कितने सारे लोग प्रकाश के लिए अंधकार में हाथ-पैर मार रहे हैं, और कितने सारे लोग अपनी परीक्षाओं से बुरी तरह जूझ रहे हैं। अय्यूब में विश्वास था, किंतु क्या वह स्वयं अपने लिए बाहर निकलने का मार्ग नहीं ढूँढ़ रहा था? यद्यपि मेरे लोग परीक्षाओं से सामना होने पर दृढ़ता से टिके रह सकते हैं, किंतु क्या कोई ऐसा है जिसमें, ज़ोर-ज़ोर से इसे जपे बिना, एक गहरी आस्था भी है? बल्कि क्या ऐसा नहीं है कि लोग अपने हृदयों में संदेह पालते हुए भी अपने विश्वासों को स्वर देते रहते हैं? ऐसे कोई मानव प्राणी नहीं हैं जो परीक्षाओं में दृढ़ता से टिके रहे हैं, या जिन्होंने परीक्षाओं से गुज़ारे जाते समय सच्चे अर्थ में समर्पण किया है। यदि मैंने इस संसार की ओर देखने से बचने के लिए अपना चेहरा नहीं ढका होता, तो समूची मानव जाति मेरी सुलगती हुई नज़रों के नीचे धराशायी हो जाती, क्योंकि मैं मानवता से कुछ नहीं माँगता हूँ; और इस तरह वे मेरे सामने आज तक जीवित रह सकते हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 10 से रूपांतरित

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