113 इंसान के लिए परमेश्वर के प्रबंध के मायने

1

प्रबंधन ईश्वर का ऐसे लोगों को प्राप्त करने के लिए है

जो उसके अधीन रहें और आराधना करें।

यह मानवजाति, शैतान द्वारा भ्रष्ट की हुई,

अब और उसे पिता जैसे नहीं देखती।

वे जानते हैं उसका बुरा चेहरा, त्यागते हैं

और स्वीकारते हैं ईश्वर का न्याय और ताड़ना।

वे जानते हैं क्या बुरा है, और वो पवित्र से कैसे जुदा है।

वे पहचानते हैं ईश्वर की महानता और शैतान की बुराई।

वे अब और काम, आराधना या प्रतिष्ठा शैतान की नहीं करेंगे,

क्योंकि वे उन लोगों का समूह है

जिन्हें वास्तव में ईश्वर ने प्राप्त किया है।

ये है मतलब मानवजाति के लिए ईश्वर के प्रबंधन का।


2

जब ईश्वर अपना प्रबंधन कार्य करता है,

मानव शैतान के भ्रष्टाचार का मुख्य केंद्र है

और ईश्वर के उद्धार का, और वो है जिसके लिए वे दोनों लड़ते हैं।

जब ईश्वर अपना प्रबंधन कार्य करता है,

वह धीरे-धीरे मानव को शैतान के चंगुल से छुड़ाता है।

इस तरह मानव ईश्वर के क़रीब आ जाता है।

वे जानते हैं क्या बुरा है, और वो पवित्र से कैसे जुदा है।

वे पहचानते हैं ईश्वर की महानता और शैतान की बुराई।

वे अब और काम, आराधना या प्रतिष्ठा शैतान की नहीं करेंगे,

क्योंकि वे उन लोगों का समूह है

जिन्हें वास्तव में ईश्वर ने प्राप्त किया है।

ये है मतलब मानवजाति के लिए ईश्वर के प्रबंधन का।

ये है मतलब मानवजाति के लिए ईश्वर के प्रबंधन का।

ये है मतलब मानवजाति के लिए ईश्वर के प्रबंधन का।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 3: मनुष्य को केवल परमेश्वर के प्रबंधन के बीच ही बचाया जा सकता है से रूपांतरित

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