886 किसी सृजित प्राणी में नहीं होता परमेश्वर का प्रेम

1

जीवन से पूर्ण होते हैं परमेश्वर के वचन,

दिखाते हैं वो राह जिस पर चलना चाहिये हमें, कराते हैं सत्य का बोध हमें।

खिंचने लगते हैं उसके वचनों की ओर हम।

गौर करने लगते हैं, उसके लहजे और बोलने के अंदाज़ पर हम,

और ख़्याल करने लगते हैं जान-बूझकर,

इस सामान्य व्यक्ति की भीतरी आवाज़ का हम।


2

हमारे लिये दिलो-जान से काम करता है परमेश्वर,

हमारे लिये न सो पाता है, न खा पाता है परमेश्वर;

हमारे लिये आँसू बहाता है, आहें भरता है,

हमारे लिये रोग में कराहता है परमेश्वर।

हमारी मंज़िल और उद्धार के लिये, अपमान सहता है परमेश्वर,

हमारे विद्रोहीपन और संवेदनहीनता पर,

उसका दिल दुखी होता है, आँसू बहाता है।


3

उसका स्वरूप और स्वभाव किसी सामान्य इंसान में नहीं होता है।

न ही उन्हें कोई दूषित इंसान धारण या हासिल कर सकता है।

उसकी सहनशीलता और धीरज, किसी सामान्य इंसान में नहीं होता है,

और उसके जैसा प्रेम, किसी सृजित प्राणी में नहीं होता है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 4: परमेश्वर के प्रकटन को उसके न्याय और ताड़ना में देखना से रूपांतरित

पिछला: 885 इंसान को बचाने के कार्य के पीछे परमेश्वर के सच्चे इरादे

अगला: 887 परमेश्वर ख़ामोशी से प्रबंध करता है हर एक का

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2023 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें