50 परमेश्वर का प्रेम हमें करीब लाता है
I
पर्वत सागर करते हों जुदा हमें भले ही,
हम हैं एक, हमारे बीच नहीं सीमायें कोई।
रंगत है अलग हमारी भाषाएँ भी अलग हमारी।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बुलाते हमें,
हम उसके सिंहासन के सामने खड़े किए जाते।
वहाँ हैं सफ़ेद बालों वाले बूढ़े,
और हैं युवा, कांतिमय और उजले।
हाथ हाथों में लिए, कंधे से कंधा मिले,
बुरे वक्त में सहारा देते,
बढ़ चले हम वर्षा, तूफान झेलते हुए।
हम कर्तव्य पूरा करते हैं एक मन से।
परमेश्वर से है प्रेम, प्रेम से ही है परिवार।
परमेश्वर से जो करते हैं प्यार वो हैं एक परिवार।
परमेश्वर के प्रेम में करीब आते हैं हम सब।
जब हम बढ़ते हैं परमेश्वर के वचन साथ होते हैं हमेशा।
खूबसूरत राज्य में रहते हुए,
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आराधना करते हैं हम सदा सर्वदा।
II
जीवन जल का झरना हैं परमेश्वर के वचन।
आनंद लेते जब हम परमेश्वर के वचनों का, हमारे दिल मधुरता से भर जाते।
उसके वचनों का न्याय और ताड़ना,
शुद्ध करते भ्रष्ट स्वभाव हमारा।
कांट-छांट और निपटारा किये जाने पर ही
हममें है मानवीय सदृशता।
नकारात्मकता और कमज़ोरी में हम एक दूसरे को सहारा देते हैं।
बुरे वक्त में हम सब साथ होते हैं।
गवाही देकर, हम शैतान को हराते हैं।
हमारे दिल हैं जुड़े हुए, जीवन में हम हमराज़ बनते हैं।
परमेश्वर का प्रेम और उसके वचन हमें करीब लाते हैं।
परमेश्वर के वचन हमें प्रोत्साहित करते हैं, हम आगे बढ़ते जाते हैं।
भले ही है कष्ट, परीक्षण, यह हमारी आस्था को पूर्ण करता है।
हम जानते हैं परमेश्वर की धार्मिकता और सुंदरता।
हम शैतान की भ्रष्टता से निकलने में समर्थ हैं।
हम राज्य के जीवन का आनंद लेते हैं,
हमारा जीवन धरती पर है स्वर्ग जैसा।
परमेश्वर से है प्रेम, प्रेम से ही है परिवार।
परमेश्वर से जो करते हैं प्यार वो हैं एक परिवार।
परमेश्वर के प्रेम में करीब आते हैं हम सब।
जब हम बढ़ते हैं परमेश्वर के वचन साथ होते हैं हमेशा।
खूबसूरत राज्य में रहते हुए,
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आराधना करते हैं हम सदा सर्वदा।