33 परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से प्रकट होता है
Ⅰ
एक ऊँची वाणी हिलाये कायनात,
बहरा कर दे, न भागने दे, वो इंसान को।
कुछ मरते, बर्बाद होते,
किसी का न्याय होता।
न देखा किसी ने ऐसा नज़ारा।
सुनो, गरज के साथ ये विलाप है।
पाताल और नर्क से आतीं ये आवाज़ें।
जिनका न्याय ईश्वर ने किया,
ये उनका विलाप है,
ये विद्रोह के पुत्रों की आवाज़ है।
जो ईश्वर की वाणी को न सुनें,
उसके वचनों पर अमल न करें,
कठोरता से किया जाता उनका न्याय,
वह झेलते उसके क्रोध का शाप।
ईश-वाणी न्याय है, है रोष भी,
वह किसी को न बख़्शे,
न दया करे कभी,
क्योंकि वो स्वयं धार्मिक ईश्वर है,
कुपित है जो शुद्ध करे,
जलाए और तबाह करे।
उसमें कुछ छिपा नहीं,
वह जज़्बाती नहीं;
सब खुला, धार्मिक और निष्पक्ष है।
Ⅱ
क्योंकि ईश्वर के ज्येष्ठ पुत्र
अब सिंहासन से,
उसके साथ सभी देशों,
लोगों पर शासन करते हैं,
वो अन्यायी, अधार्मिक चीज़ों, लोगों का
न्याय करना शुरू कर रहा है।
ईश्वर एक-एक कर उनको जाँचेगा,
वो कुछ छोड़ेगा नहीं, सब प्रकट करेगा।
उसका न्याय पूरी तरह
प्रकट है, खुला है,
कुछ भी रोका नहीं गया है।
जो उसकी इच्छा के अनुसार नहीं, वो उसे
अनंत गड्ढे में तबाह होने,
जलने के लिए फेंक देगा।
ये उसकी धार्मिकता, ईमानदारी है।
कोई इसे बदल न सके;
सब उसके प्रभुत्व में है।
जो ईश्वर की वाणी को न सुनें,
उसके वचनों पर अमल न करें,
कठोरता से किया जाता उनका न्याय,
वह झेलते उसके क्रोध का शाप।
ईश-वाणी न्याय है, है रोष भी,
वह किसी को न बख़्शे,
न दया करे कभी,
क्योंकि वो स्वयं धार्मिक ईश्वर है,
कुपित है जो शुद्ध करे,
जलाए और तबाह करे।
उसमें कुछ छिपा नहीं,
वह जज़्बाती नहीं;
सब खुला, धार्मिक और निष्पक्ष है।
'वचन देह में प्रकट होता है' से रूपांतरित