55 अंत के दिनों में परमेश्वर इंसान का न्याय और शुद्धिकरण वचनों से करता है
1
अंत के दिनों का काम है वचन बोलना।
वचनों से इंसान में बड़े बदलाव आते हैं,
उन्हें स्वीकारने वालों में होते हैं और बड़े बदलाव,
उनसे ज़्यादा, जिन्होंने अनुग्रह के युग में
स्वीकार किए थे चिह्न और चमत्कार।
उस युग में हैवान निकाले गए थे बाहर
सिर पर हाथ रखकर और प्रार्थना करके,
जबकि इंसान का भ्रष्टाचार अभी भी जारी है,
इंसान का भ्रष्टाचार अभी भी जारी है,
जबकि इंसान का भ्रष्टाचार अभी भी जारी है।
2
आदमी चंगा हो गया, पाप हो गया माफ़,
लेकिन काम अभी भी किया जाना था
इंसान को अपना भ्रष्ट स्वभाव खत्म करने लायक बनाने के लिए।
इंसान अपने विश्वास के कारण बच गया,
पर उसका पापी स्वभाव अभी भी है बना हुआ।
देहधारी परमेश्वर के माध्यम से माफ़ हुए इंसान के पाप।
लेकिन इंसान के भीतर अभी भी पाप था,
इंसान के भीतर अभी भी पाप था,
लेकिन इंसान के भीतर अभी भी पाप था।
3
काम का वो चरण पूरा किए जाने के बाद भी
न्याय का काम अभी बचा हुआ है।
वचनों से शुद्ध करके इंसान को, दिया जाता है एक मार्ग इस चरण में।
पाप-बलि के माध्यम से, कर दिए गए हैं माफ़, इंसान के सभी पाप,
क्योंकि सूली पर चढ़ाने का काम पहले ही ख़त्म हो गया है।
परमेश्वर शैतान से जीत गया है,
शैतान से जीत गया है, परमेश्वर शैतान से जीत गया है।
लेकिन भ्रष्ट स्वभाव अभी भी इंसान के भीतर है।
इंसान अभी भी पापी और ईश्वर विरोधी हो सकता है,
इसलिए ईश्वर ने इंसान को अभी भी प्राप्त नहीं किया।
इसलिए इस चरण में उजागर करता परमेश्वर वचनों से
इंसान के भ्रष्टाचार, ताकि वो चले सही राह पर।
4
ज़्यादा मायने हैं इस चरण के, ये अधिक फलदायी है,
क्योंकि अब वचन करे इंसान के जीवन की आपूर्ति,
ये इंसान को नया होने का मौका देता है; ये काम का गहन चरण है।
अंत के दिनों में परमेश्वर का देहधारी होना पूरा करे देहधारण के मायने
और इंसान को बचाने की परमेश्वर की योजना।
वचन करे शुद्ध इंसान को अंत के दिनों में।
वचन करे शुद्ध इंसान को अंत के दिनों में।
वचन करे शुद्ध इंसान को अंत के दिनों में।
वचन करे शुद्ध इंसान को अंत के दिनों में।
वचन करे शुद्ध इंसान को अंत के दिनों में।
वचन करे शुद्ध इंसान को अंत के दिनों में।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4) से रूपांतरित