342 परमेश्वर को नफ़रत है इंसानों के आपसी जज़्बात से

1

लोगों ने आपसी जज़्बात के कारण,

परमेश्वर को किनारे कर दिया है,

इंसान ने उसे भुला दिया है,

और अपने कथित ज़मीर को उठा लेने का मौका हासिल कर लिया है।

आपसी जज़्बात के कारण, परमेश्वर की ताड़ना से थक चुका है इंसान,

कहता उसे अन्यायी और बेपरवाह इंसां के जज़्बात से।

क्या ईश्वर का है कोई संबंधी धरा पर?


परमेश्वर में नहीं हैं जज़्बात, वो लोगों को मौका नहीं देता

अपने जज़्बात दिखाने का, जिससे है नफरत उसे।

परमेश्वर में नहीं हैं जज़्बात।


2

परमेश्वर के अलावा और कौन उसकी योजना के लिए दिन-रात काम करे?

क्या इंसान उससे तुलना कर सके, उसके अनुरूप हो सके?

कैसे हो सकता सृष्टिकर्ता, परमेश्वर उस इंसान जैसा, जो है सृष्टि उसी की?

कैसे ईश्वर सदा धरती पर इंसान संग रह सके?

इंसान के साथ रहने को सहमत हुआ था कभी।

तबसे इंसान सदा रहा उसकी सुरक्षा में।

क्या इंसान कभी खुद को उसकी देखभाल से अलग कर सके?


भले इंसान ने न की कभी परमेश्वर की परवाह,

लेकिन अंधेरे में कौन जीता रह सकता?

इंसान जो आज तक है जिंदा, है ये बस ईश्वर की कृपा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 28 से रूपांतरित

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